By Shivakant Shukla Last Updated:
अंबानी परिवार (Ambani Family) आज दुनिया के सबसे रईस और धनी परिवारों में से एक है। फैमिली को इस मुकाम तक पहुंचाने में धीरूभाई अंबानी (Dhirubhai Ambani) ने कड़ी तपस्या की है। इस बात को तो सभी जानते हैं। लेकिन, ये बहुत कम ही लोग जानते होंगे कि धीरूभाई अंबानी को 'समर्थवान' बनाने का श्रेय किसको जाता है? आज हम आपको इसी के बारे में बताने जा रहे हैं।
भारत के सबसे अमीर परिवार के मुखिया रहे धीरजलाल हीरालाल अंबानी उर्फ धीरूभाई अंबानी का जन्म 28 दिसम्बर, 1932 को गुजरात के जूनागढ़ के छोटे से गांव चोरवाड़ में हुआ था। धीरूभाई के पिता हीराचंद गोर्धनभाई अंबानी एक शिक्षक थे। माता जमनाबेन एक सामान्य गृहिणी थी। धीरूभाई चार भाई-बहन थे। जिनका नाम रमणिकभाई, धीरूभाई, नाथूभाई, त्रिलोचनाबेन और जसुमतिबेन था। (ये भी पढ़ें: मुकेश अंबानी और नीता अंबानी की वेडिंग एनिवर्सरी पर वायरल हुईं उनकी शादी की अनदेखी फोटोज, यहां देखिए)
धीरूभाई के पिता गोर्धनभाई के लिए इतने बड़े परिवार का पालन करना अबहुत कठिन हो रहा था। इसी को ध्यान में रखते हुए धीरूभाई ने हाईस्कूल के बाद पढ़ाई छोड़कर पिता की मदद करने के लिए फल और नाश्ता बेचने का काम शुरू किया, लेकिन इस धंधे में कुछ खास फायदा नहीं हुआ। इसके बाद धीरूभाई ने गांव के नजदीक स्थित धार्मिक पर्यटन स्थल गिरनार में पकौड़े बेचने का काम शुरू कर दिया। यह काम पूरी तरह आने वाले पर्यटकों पर निर्भर था, जो साल के कुछ समय तो अच्छा चलता था बाकि समय इसमें कोई खास लाभ नहीं था। धीरूभाई ने इस काम को भी कुछ समय बाद बंद कर दिया।
इस समय तक धीरूभाई के बड़े भाई रमणिकभाई (Ramnaikbhai) यमन में नौकरी करने लगे थे। उनकी मदद से धीरूभाई को 1949 में 17 वर्ष की उम्र में यमन जाने का मौका मिला। वहां उन्होंने शेल कंपनी के पेट्रोल पंप पर 300 रूपए मासिक के तौर पर नौकरी की शुरूआत की और महज दो साल में वह मैनेजर के पद तक पहुंच गए। इसी बीच धीरूभाई ने कोकिलाबेन से साल 1955 में शादी रचाई। जानकारी के मुताबिक, एडन में ही धीरूभाई के बड़े बेटे मुकेश अंबानी का जन्म हुआ था। यहां उन्होंने करीब 6 साल तक कमाई की। लेकिन, कुछ ही दिनों बाद यमन में आजादी के लिए लड़ाई शुरू हो गई, इसी परेशानी के आलम में धीरूभाई समेत ढेरों भारतीयों को यमन छोड़ना पड़ा, लेकिन तब तक धीरूभाई के पास बिजनेस शुरू करने के लिए कुछ पैसे हो गए थे। (ये भी पढ़ें: धीरूभाई अंबानी की बहन त्रिलोचनाबेन के बारे में नहीं जानते होंगे आप, जानें क्या करते हैं उनके पोते)
इस नौकरी के चले जाने के बाद उन्होंने नौकरी की जगह बिजनेस करने का निर्णय लिया, लेकिन व्यवसाय शुरू करने के लिए पैसों की जरूरत थी। धीरूभाई के पास निवेश के लिए उतना पैसा नहीं था, जितना चाहिए था। इसके लिए उन्होंने अपने चचेरे भाई चम्पकलाल दमानी (जो उनके साथ ही एडन (यमन) में रहा करते थे।) के साथ मिलकर मसालों और शक्कर के व्यापार की शुरूआत की। यहीं पर रिलायंस कमर्शियल कॉरर्पोरेशन की नींव पड़ी। इसके बाद रिलायंस ने सूत के कारोबार में प्रवेश किया। इसी बीच धीरूभाई ने कोकिलाबेन से शादी रचा ली। (ये भी पढ़ें: किसी एक्ट्रेस से कम खूबसूरत नहीं हैं धीरूभाई अंबानी की बेटी 'दीप्ति', कुछ ऐसी है इनकी लव स्टोरी)
इसके बाद धीरूभाई को व्यापार में सफलता मिलती गई। जल्द ही वे बॉम्बे सूत व्यपारी संघ के कर्ता-धर्ता बन गए। यह बिजनेस जोखिमों से भरा हुआ था, और चम्पकलाल को जोखिम पसंद नहीं था इसलिए साल 1965 में दोनों ने अलग रास्ते चुन लिए। इससे रिलायंस पर कोई खास फर्क नहीं पड़ा और 1966 में रिलायंस टेक्सटाइल्स अस्तित्व में आया।
इसके बाद रिलायंस ने साल 1970 में अहमदाबाद के नरोदा में टेक्सटाइल मिल की स्थापना की। बड़े भाई रमणिकभाई के बेटे 'विमल' के नाम की ब्रांडिंग इस तरह की गई कि जल्द ही वह घर-घर में पहचाना जाने लगा और 'विमल' का कपड़ा एक बड़ा ब्रांड बन गया। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और रिलायंस कपड़े के साथ ही पेट्रोलियम और दूरसंचार जैसी कंपनियों के साथ भारत की सबसे बड़ी कंपनी बन गई। लगातार बढ़ते बिजनेस के बीच उनका स्वास्थ्य खराब हुआ और 6 जुलाई 2002 को उनकी मृत्यु हो गई। इस समय तक धीरूभाई के पास हजारों करोड़ की संपत्ति हो चुकी थी। अब उनके बिजनेस को उनके दोनों बेटे मुकेश और अनिल आगे बढ़ा रहे हैं। (ये भी पढ़ें: धीरूभाई अंबानी की लव लाइफ: पत्नी कोकिलाबेन को पसंद आता था उनके प्यार जताने का ये अंदाज)
रमणिकभाई 90 साल की उम्र तक रिलायंस इंडस्ट्रीज के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में थे। वे 2014 में रिटायर हुए, जिसके बाद मुकेश अंबानी की पत्नी नीता अंबानी बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में शामिल होने वाली पहली महिला बनीं। 27 जुलाई 2020 को 95 वर्ष की उम्र में रमणिकभाई का निधन हो गया। रमणिकभाई की पत्नी पदमाबेन का 2001 में निधन हो गया था। वह अपने बच्चों और पोते-पोतियों के साथ रहते थे।
ऐसे में अगर, धीरूभाई अंबानी के शुरूआती जीवन को ध्यान से देखा जाए तो, धीरूभाई और उनके परिवार को इस मुकाम तक पहुंचाने का श्रेय उनके चचेरे और सगे भाई को जाता है, क्योंकि इन दोनों लोगों ने शुरूआती समय में धीरूभाई की मदद की थी। तो आपकी इस बारे में क्या राय है? हमें कमेंट करके जरूर बताएं, साथ ही हमारे लिए कोई सलाह हो तो अवश्य दें।