By Pooja Shripal Last Updated:
डॉ. विकास दिव्यकीर्ति (Dr. Vikas Divyakirti) किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। वह एक फेमस प्रोफेसर, लेखक और देश के सबसे पसंदीदा शिक्षकों में से एक हैं। 'यूपीएससी' के विषयों के प्रोफेसर होने के नाते वह अपनी बातों, नैतिकता और मूल्य से आम लोगों को प्रेरित करने का कोई मौका नहीं छोड़ते। जिस तरह से वह किसी भी मुश्किल टॉपिक को स्टूडेंट्स को पढ़ाते हैं, वह वाकई काफी काबिले-तारीफ है।
इंस्टाग्राम पर कई पेज हैं, जो डॉ. विकास दिव्यकीर्ति के वीडियोज से भरे हुए हैं। उन्हीं में से एक पेज के 60 हजार से अधिक फॉलोअर्स हैं। इतना ही नहीं, उनके निजी यूट्यूब चैनल पर भी 2.95 मिलियन सब्सक्राइबर्स हैं और उनके कोचिंग सेंटर 'दृष्टि आईएएस' पर भी 11 मिलियन से अधिक सब्सक्राइबर्स हैं। हाल ही में, वह फिल्म '12वीं फेल' में भी नजर आए थे।
यहां हम आपको उनके बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं।
डॉ. विकास दिव्यकीर्ति का जन्म 26 दिसंबर 1973 को हरियाणा में एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। कई रिपोर्टों के अनुसार, जहां विकास दिव्यकीर्ति के पिता 'महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय' में हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध प्रोफेसर थे, वहीं उनकी मां भिवानी के एक स्कूल में पीजीटी टीचर थीं।
रिपोर्ट्स की मानें, तो डॉ. विकास दिव्यकीर्ति के दो बड़े भाई हैं, उनके सबसे बड़े भाई अमेरिका में एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं और उनके दूसरे भाई 'CBI' में डीआईजी हैं। विकास दिव्यकीर्ति के बारे में ये सारी जानकारी काफी आम है। हालांकि, हर किसी को उनके और उनके जीवन के बारे में कुछ फैक्ट्स और आंकड़े जानने चाहिए, क्योंकि यह आपको अत्यधिक प्रेरणा देगा।
प्रोफेसर डॉ. विकास दिव्यकीर्ति की शैक्षणिक योग्यता की बात करें, तो उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा 'सरस्वती शिशु मंदिर' से पूरी की, जो हरियाणा के भिवानी जिले में है। ग्रेजुएशन के लिए उन्होंने 'दिल्ली यूनिवर्सिटी' के 'जाकिर हुसैन दिल्ली कॉलेज' में एडमिशन लिया, जहां से उन्होंने हिंदी भाषा में बीए की पढ़ाई पूरी की। इसके अलावा, उन्होंने एमए, एमफिल और पीएचडी भी की। इतना ही नहीं, विकास दिव्यकीर्ति के पास अंग्रेजी और हिंदी में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री भी है। इतने मजबूत एजुकेशनल बैकग्राउंड के साथ, वह भारत में यूपीएससी परीक्षा के लिए हाईली क्वालिफाइड प्रोफेसर्स में से एक हैं।
रिपोर्ट्स की मानें, तो अपनी प्रोफेशनल एजुकेशन पूरी करने के बाद डॉ. विकास दिव्यकीर्ति ने दिल्ली यूनिवर्सिटी में छात्रों को पढ़ाना शुरू किया। जब वे दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्रों को पढ़ा रहे थे, तब विकास दिव्यकीर्ति ने अपने परिवार और रिश्तेदारों के दबाव के कारण यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। हालांकि, सभी को आश्चर्यचकित करते हुए उन्होंने 1996 में AIR 384 के साथ अपने पहले प्रयास में यूपीएससी परीक्षा पास की। भारत की सबसे कठिन परीक्षा पास करने के बाद, विकास दिव्यकीर्ति को गृह मंत्रालय में तैनात किया गया और अंततः पद छोड़ने से पहले उन्होंने कुछ महीनों तक वहां काम किया।
कुछ महीनों तक आईएएस ऑफिसर के रूप में काम करने के बाद, विकास दिव्यकीर्ति को समझ आया कि शिक्षण एक ऐसी चीज़ है, जिसके साथ वह समाज पर और भी बड़ा प्रभाव डाल सकते हैं। इसलिए, उन्होंने आईएएस अधिकारी की नौकरी छोड़ने का फैसला किया। यह स्पष्ट रूप से उनके माता-पिता और रिश्तेदारों के लिए चौंकाने वाली खबर थी, जो उनके यूपीएससी परीक्षा पास करने के बाद सातवें आसमान पर थे, लेकिन इस बार विकास दिव्यकीर्ति अपने सपनों की नौकरी यानी टीचर बनने के लिए दृढ़ थे। परिणामस्वरूप, 1999 में उन्होंने दिल्ली के मुखर्जी नगर में 'दृष्टि आईएएस' कोचिंग सेंटर खोला।
डॉ. विकास दिव्यकीर्ति ने कथित तौर पर अपना पहला कोचिंग सेंटर 'दृष्टि आईएएस' दिल्ली में खोला और बाद के वर्षों में देश के विभिन्न हिस्सों में चार और सेंटर खोले गए। कई रिपोर्टों के अनुसार, 'दृष्टि आईएएस' के पास भारत की सिविल सेवाओं में असाधारण छात्रों को लाने का एक मजबूत रिकॉर्ड है। उदाहरण के लिए, वर्ष 2022 में 216 से अधिक छात्रों ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास की। 'दृष्टि आईएएस' कोचिंग सेंटर की फीस की बात करें, तो कई रिपोर्ट्स के मुताबिक यह करीब 1 लाख रुपए है। हालांकि, फीस सेलेबस के अनुसार अलग-अलग होता है, और फीस स्ट्रक्चर के बारे में विस्तार से जानने के लिए कोई भी व्यक्ति उनकी आधिकारिक वेबसाइट पर जा सकता है।
डॉ. विकास दिव्यकीर्ति से जुड़ा हुआ एक विवाद भी है, जिसके लिए उनकी काफी आलोचना भी हुई थी। यह नवंबर 2022 के आसपास था, जब डॉ. विकास दिव्यकीर्ति के एक लेक्चर की एक छोटी सी क्लिप सोशल मीडिया पर अपलोड की गई थी, जिसमें उन्हें यह कहते हुए देखा जा सकता था कि भगवान राम ने माता सीता से कहा था कि उन्होंने रावण के साथ युद्ध उनके लिए नहीं बल्कि अपने परिवार के गौरव के लिए लड़ा था। विकास दिव्यकीर्ति ने यह भी कहा था कि भगवान राम ने परोक्ष रूप से देवी सीता की तुलना 'कुत्ते के चाटे हुए घी' से की थी। उन्होंने कहा था, "मैंने (राम) यह लड़ाई तुम्हारे (सीता) लिए नहीं, कुल (परिवार) के लिए लड़ी है और जहां तक तुम्हारी बात है, तो यह तो ऐसा है जैसे कुत्ते का चाटा हुआ घी कोई नहीं खाता।"
यह वीडियो इंटरनेट पर वायरल हो गया और जल्द ही प्रोफेसर डॉ. विकास दिव्यकीर्ति को सोशल मीडिया पर काफी नफरत मिलने लगी। हालांकि, जल्द ही 'लल्लनटॉप' के साथ एक साक्षात्कार में विकास दिव्यकीर्ति ने विवाद के बारे में बात की और साझा किया कि उन्होंने वीडियो में देवी सीता और भगवान राम के बारे में जो कुछ भी कहा था, उसका उल्लेख पुरुषोत्तम अग्रवाल की पुस्तक 'संस्कृति: वर्चस्व और प्रतिरोध' में किया गया है।
उन्होंने कहा था, "वह यूपीएससी के सदस्य रहे हैं, जिसका मतलब है कि हम उन्हें अपनी पढ़ाई में कोट कर सकते हैं। अब सवाल यह है कि हम क्या करें, क्योंकि यूपीएससी में ऐसे प्रश्न आते हैं जैसे तुलसीदास के संदर्भ में नारीवाद का मूल्यांकन करें और तुलसीदास ने अपने 'रामचरितमानस' में उन हिस्सों को छोड़ दिया और प्रगतिशील साबित हुए।"
बता दें कि एक प्रोफेसर के रूप में काम करने के अलावा, डॉ. विकास दिव्यकीर्ति ने फिल्म '12वीं फेल' से बॉलीवुड में एक अभिनेता के रूप में भी अपनी शुरुआत की। हालांकि, उन्होंने फिल्म में खुद की भूमिका निभाई और साबित कर दिया कि वह एक बहु-प्रतिभाशाली व्यक्ति हैं, क्योंकि वह फिल्म में बहुत नेचुरल लग रहे थे। हम आशा करते हैं कि विकास दिव्यकीर्ति अपनी शिक्षाओं और मार्गदर्शन के माध्यम से इस देश को अनगिनत अधिकारी देते रहेंगे।
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फिलहाल, डॉ. विकास दिव्यकीर्ति की एक आईएएस अधिकारी से प्रोफेसर तक की यात्रा पर आपके क्या विचार हैं? हमें कमेंट करके जरूर बताएं।