By Pooja Shripal Last Updated:
स्मृति ईरानी (Smriti Irani) टीवी की दुनिया का एक बड़ा नाम रही हैं। शो 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' में 'तुलसी विरानी' की भूमिका से घर-घर में मशहूर हुईं स्मृति अब राजनेत्री बन गई हैं। अपनी प्रोफेशनल लाइफ में बेहद सफल रहीं स्मृति की पर्सनल लाइफ कभी भी आसान नहीं रही। हाल ही में, उन्होंने अपने जीवन के मुश्किल दिनों को याद किया है, साथ ही अपने पैरेंट्स के अलगाव पर भी बात की है।
फेमस स्टोरीटेलर और रेडियो की दुनिया की जानी-मानी हस्ती नीलेश मिश्रा के साथ अपने हालिया इंटरव्यू में स्मृति ईरानी ने अपने निजी जीवन के बारे में कुछ चौंकाने वाले खुलासे किए और गुड़गांव में अपने परिवार के घर को खोने के बारे में बात की। उन्होंने बताया कि तब वह सिर्फ 7 साल की थीं, जब उनकी मां ने उन्हें अपना घर छोड़ने के बारे में बताया था।
उन्होंने कहा, "पहला घर जो मुझे गुड़गांव में याद है, मेरे लिए एक बेहद-प्रभावशाली घर था। उस जगह की मेरी आखरी याद 7 साल की उम्र में थी और मेरे पास उस घर की सिर्फ एक तस्वीर है। मैंने एक सफेद फ्रॉक, एक पार्टी टोपी और एक बिंदी पहनी हुई थी। उस घर में वो आखिरी दिन 1983 का था, मैं और मेरी बहनें बैठकर काली दाल खा रहे थे और मेरे लिए ये फिल्मी सीन था, मेरी मां ने हाथ वाला रिक्शा रोका, सामान रखा और कहा कि जल्दी से खाना खा लो, हम जा रहे हैं दिल्ली के लिए। उस दिन के बाद से मैं काली दाल नहीं खाती।"
हालांकि, 30 साल बाद स्मृति ईरानी अपने पति जुबिन ईरानी के साथ अपने पुराने घर में दोबारा आईं और उन्हें बताया कि कैसे उन्हें बेमन से घर छोड़ने के लिए कहा गया था। उसी साक्षात्कार में स्मृति ने साझा किया कि वह उस घर को खरीदने जा रही थीं, लेकिन जब उन्होंने अपनी मां को इसके बारे में बताने के लिए फोन किया, तो उन्होंने कहा कि पैसा उनके दुखों को नहीं खरीद सकता है।
स्मृति कहती हैं, "मुझे याद है कि मैं अपनी मां के साथ घर के बाहर खड़ी थी और मैंने कहा, 'मैं एक दिन यह घर खरीदूंगी।' मेरी मां ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। हम रिक्शा में बैठे और चले गए। दशकों बाद जब मैं सांसद बनने के बाद दिल्ली आई, तो पुराने घर गई। मैं 37 साल की थी। ईरानी साहब मेरे बगल में खड़े थे। मैंने उन्हें बताया कि यह वही घर है, जिसमें हमने ना चाहते हुए छोड़ा था। मैंने अपनी मां को फोन किया और उन्हें घर खरीदने के बारे में बताया। उन्होंने कहा, 'कोई भी अमाउंट आपके दुखों को नहीं खरीद सकती है'।'' स्मृति ईरानी की लव स्टोरीः जानें कैसे हुई थी पति जूबिन से एक्ट्रेस की मुलाकात, पढ़ें पूरी खबर
स्मृति ईरानी ने यह भी बताया कि उनकी मां अपने पूरे जीवन में किराए के घर में रही हैं, इसलिए उनकी अंतिम इच्छा है कि वह अपने घर में ही अंतिम सांस लें। अपनी मां की इच्छा को पूरा करने के लिए पूर्व एक्ट्रेस ने अपनी मां के लिए एक घर खरीदा है और किराए के रूप में उनसे एक रुपया प्रतिमाह लेती हैं। इस बारे में उन्होंने कहा, "मैंने मां से पूछा, ये घर नहीं तो कौन सा। पहली बार मेरी मां ने कहा, 'हम अपनी बेटियों से कुछ नहीं ले सकते, लेकिन मेरी इच्छा है कि जब मैं मर जाऊं, तो मैं अपने घर में मरना चाहती हूं'।"
उन्होंने आगे बताया, ''मेरी मां ने अपना सारा जीवन किराए के घर पर गुजारा है। मैंने 6 साल पहले एक घर खरीदा है। मेरी मां मुझे किराए के लिए 1 रुपए देती हैं, ताकि उनका स्वाभिमान बरकरार रहे। लोग मुझसे पूछते हैं कि मुझे क्या संतुष्टि मिलती है, मैं कहूंगी कि यह भावना कि मेरी मां अपनी इच्छा पूरी होने के बाद शांति से मर सकती हैं, ये मुझे संतुष्टि का अनुभव कराती है।"
इंटरव्यू में आगे स्मृति ईरानी ने खुलासा किया कि उनके माता-पिता ने उनके दादा-दादी की मर्जी के खिलाफ शादी की थी और कहा कि उस समय उनके पास केवल 150 रुपए थे। शुरुआत में, वे एक गाय के शेड के ऊपर एक कमरे में रहते थे और बाद में गुड़गांव में सैटल हो गए, क्योंकि वह सस्ती जगह थी।
इस बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, "मेरे पिता पंजाबी-खत्री थे और मेरी मां बंगाली-ब्राह्मण हैं, इसलिए उन्होंने मेरे दादा-दादी की मर्जी के खिलाफ शादी की। जब उनकी शादी हुई, तो उनके पास केवल 150 रुपए थे। शुरू में, वे एक गाय के शेड के ऊपर एक कमरे में रहते थे। मैं लेडी हार्डिंग अस्पताल में पैदा हुई थी। बाद में वे गुड़गांव में सैटल हो गए, क्योंकि यह सस्ती जगह थी। बहुत कम कपल आर्थिक और सामाजिक मुश्किलों से बच पाते हैं। मेरी मां को बताया गया था कि अगला बेटा होगा, तो वह हम बहनों को खींचती थीं और कहती थीं कि ये मेरे लिए काफी हैं।"
स्मृति ईरानी ने अपने जीवन के सबसे बुरे चरणों में से एक के बारे में भी बात की। उसी पर विचार करते हुए उन्होंने साझा किया कि उन्हें यह कहने में 40 साल लग गए कि उनके माता-पिता अलग हो गए, क्योंकि उन्हें तब हीन दृष्टि से देखा जाता था। अपने माता-पिता के अलगाव पर बात करते हुए उन्होंने बताया, "मुझे यह कहने में 40 साल लग गए कि मेरे माता-पिता अलग हो गए। उन दिनों हमें हीन दृष्टि से देखा जाता था, लेकिन अब मुझे पता है कि उनके लिए अपनी जेब में सिर्फ 100 रुपए के साथ जीवन जीना और सभी का ख्याल रखना कितना कठिन था।"
उन्होंने आगे बताया, ''मेरे पिताजी एक आर्मी क्लब के बाहर किताबें बेचते थे। मैं उनके साथ बैठती थी और मेरी मां अलग-अलग घरों में जाकर मसाले बेचती थीं। मेरे पिताजी ने ज्यादा पढ़ाई नहीं की, जबकि मेरी मां ग्रेजुएट थीं, इसलिए वहां वे मतभेद और संघर्ष भी हो सकते थे।"
वैसे, स्मृति के इन खुलासों से यह तो साफ है कि भले ही स्मृति की सफलता ने उनकी अबकी लाइफ को आसान बना दिया हो, लेकिन उनका पुराना जीवन संघर्षों से भरा हुआ रहा है। फिलहाल, उनके इन खुलासों पर आपकी क्या राय है? हमें कमेंट करके जरूर बताएं।