'नेटफ्लिक्स' के 'महाराज' की रियल स्टोरी: कौन थे जदुनाथजी बृजरतनजी और करसनदास मूलजी? जानें सच्चाई

आइए यहां हम आपको नेटफ्लिक्स की फिल्म 'महाराज' और इसके रियल लाइफ कैरेक्टर जदुनाथजी बृजरतनजी व करसनदास मूलजी (जिन्हें जयदीप अहलावत और जुनैद खान ने निभाया है) के बारे में बताते हैं।

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By Shivakant Shukla Last Updated:

'नेटफ्लिक्स' के 'महाराज' की रियल स्टोरी: कौन थे जदुनाथजी बृजरतनजी और करसनदास मूलजी? जानें सच्चाई

'महाराज' फिल्म 21 जून 2024 को नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई और इसने इंटरनेट पर तहलका मचा दिया। इस फिल्म का निर्देशन सिद्धार्थ पी मल्होत्रा ​​ने किया है, जो एक बेहतरीन फिल्ममेकर हैं, जिन्होंने इससे पहले 'कल हो ना हो', 'हिचकी' और कई अन्य फिल्मों का निर्देशन किया है। इस फिल्म से आमिर खान के बेटे जुनैद खान ने बॉलीवुड में अपने अभिनय की शुरुआत की। जहां जुनैद ने करसनदास मुलजी के रियल लाइफ के किरदार को निभाया, वहीं जयदीप अहलावत ने जदुनाथजी बृजरतनजी महाराज का रोल प्ले किया।

VHP, बजरंग दल और वैष्णव पुष्टिमार्ग संप्रदाय द्वारा 'महाराज' की रिलीज का विरोध करने का कारण

जैसे ही फिल्म की ओरिजनल रिलीज डेट 14 जून 2024 की घोषणा की गई, वैष्णव पुष्टिमार्ग संप्रदाय, विश्व हिंदू परिषद व बजरंग दल के कई सदस्यों ने इसका विरोध किया और मेकर्स को नोटिस भी भेजा। हालांकि, 'महाराज' की रिलीज पर काफ़ी विवाद के बाद गुजरात उच्च न्यायालय ने फ़िल्म की रिलीज पर अंतरिम रोक को खारिज कर दिया और स्पष्ट रूप से कहा कि यह वैष्णव पुष्टिमार्ग संप्रदाय को टारगेट नहीं करती है।

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नेटफ्लिक्स पर रिलीज होने के बाद 'महाराज' को कई पॉजिटिव रिव्यूज मिले। जहां ज़्यादातर लोगों ने जुनैद खान के अभिनय की तारीफ की, वहीं दर्शक जयदीप अहलावत के फिजिकल ट्रांसफॉर्मेशन से भी हैरान रह गए। बता दें कि फिल्म में जयदीप ने 'जदुनाथजी बृजरतनजी' का किरदार निभाया है, जबकि जुनैद खान ने 'करसनदास मुलजी' की भूमिका में दर्शकों को प्रभावित किया। दोनों ही किरदार वास्तविक हैं और यह फ़िल्म 1862 के फेमस 'महाराज मानहानि मामले' पर आधारित है।

'महाराज' में जयदीप अहलावत और जुनैद खान के किरदार: जदुनाथजी बृजरतनजी महाराज और करसनदास मुलजी के बारे में जानें सच्चाई 

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1862 के 'महाराज मानहानि मामले' के डिटेल्स में जाने से पहले आइए जदुनाथजी बृजरतनजी व करसनदास मुलजी के बारे में थोड़ा और बात करते हैं। 1800 के दशक में करसनदास मुलजी नामक एक पत्रकार थे, जिन्होंने 1855 में अपनी खुद की पत्रिका 'सत्यप्रकाश' शुरू की थी। वह एक निडर पत्रकार थे, जो हमेशा सच बताते थे और कई रिपोर्टों के अनुसार, उन्होंने अपनी खुद की पत्रिका इसलिए शुरू की, ताकि उन्हें समाज की बड़ी बुराइयों के बारे में बात करने की आजादी मिल सके।

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करसनदास मुलजी पुष्टिमार्ग संप्रदाय के अनुयायी थे, जिसकी स्थापना वल्लभाचार्य ने 16वीं शताब्दी में की थी। 19वीं शताब्दी के अंत तक पुष्टिमार्ग संप्रदाय पश्चिमी भारत में काफी फेमस हो गया था, क्योंकि इसके आध्यात्मिक लीडर (जिन्हें 'महाराज' की उपाधि से जाना जाता था) पूरे भारत में बहुत मशहूर होने लगे थे। अनुयायी अपने महाराज पर पूरे दिल से विश्वास करते थे और यहां तक कि महाराजों को खुद पर काफी अधिकार भी देते थे।

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इतना ही नहीं, जल्द ही महाराजों ने अपने अनुयायियों से कहा कि वे भगवान कृष्ण के अवतार हैं, जिसके कारण कई अमीर लोग उनके प्रति सम्मान और भक्ति के प्रतीक के रूप में उन्हें बड़ी रकम दान करते थे। महाराज एक शानदार जीवन जीते थे और अक्सर अपनी महिला अनुयायियों के साथ यौन दुराचार के आरोपों का सामना करते थे। वर्षों के धैर्य और महाराजों के कामकाज का विश्लेषण करने के बाद करसनदास मुजली ने 1861 में अपनी पत्रिका में एक आर्टिकल प्रकाशित किया, जिसने पूरे भारत में हलचल मचा दी।

1862 के महाराज मानहानि मामले पर आधारित है 'महाराज', जानें इस बारे में

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अपने संपादकीय लेख में करसनदास ने जदुनाथजी बृजरतनजी महाराज पर उनकी महिला अनुयायियों के साथ यौन संबंध बनाने का आरोप लगाया। महाराज ने 1861 में करसनदास के खिलाफ उनकी सार्वजनिक छवि को धूमिल करने और उनके अनुयायियों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए 50,000 रुपये का मुकदमा दायर किया। महाराज द्वारा अदालत में मानहानि का मुकदमा दायर करने के बाद इस मामले को 'महाराज मानहानि केस ऑफ 1862' नाम दिया गया।

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जुनैद खान के किरदार 'करसनदास मुलजी' को 1860 के दशक में 'जदुनाथजी बृजरतनजी महाराज' को उजागर करने के लिए मिली थी धमकी

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इस मामले ने पूरे देश का ध्यान खींचा और जब यह पता चला कि करसनदास मुलजी ही वह व्यक्ति हैं, जिन्होंने यह सब शुरू किया था, तो पत्रकार को अज्ञात लोगों से मौत की धमकियां मिलीं। हालांकि, जैसे-जैसे मुकदमा आगे बढ़ा, मिशनरी ओरिएंटलिस्ट स्कॉलर जॉन विल्सन और भारतीय चिकित्सक भाऊ दाजी ने जदुनाथजी बृजरतनजी महाराज की जांच की और खुलासा किया कि उन्हें सिफलिस है, जो एक यौन संचारित संक्रमण है। बहुत सारे गवाह सामने आए और उन्होंने पुष्टि की कि वह कामुक हरकतों में लिप्त थे।

इतना ही नहीं, कई महिलाओं ने दावा किया कि जदुनाथजी बृजरतनजी महाराज ने उनका यौन शोषण किया था और यह महाराज की काली सच्चाई को उनके कट्टर अनुयायियों के सामने लाने के लिए पर्याप्त था। कई सुनवाई के बाद 1862 का महाराज मानहानि मामला 22 अप्रैल 1862 को समाप्त हुआ।

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अदालत ने बहादुर पत्रकार करसनदास के पक्ष में फैसला सुनाया और उन्हें मुकदमे के दौरान किए गए 11,500 रुपए के कुल खर्च के लिए मुआवजे के रूप में 14,000 रुपए की राशि प्रदान की। 1862 के महाराज मानहानि मामले को अक्सर भारत की न्यायिक प्रणाली के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण सार्वजनिक मुकदमों में से एक माना जाता है।

'महाराज' फिल्म में जयदीप अहलावत का जुनैद खान की ऑनस्क्रीन पत्नी के साथ विवादित सीन

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सिद्धार्थ पी मल्होत्रा ​​की फिल्म 'महाराज' की बात करें, तो इसमें इस कानूनी मामले को कुछ ​क्रिएटिव टच के साथ दिखाया गया है, ताकि इसे और अधिक आकर्षक बनाया जा सके। उदाहरण के लिए फिल्म में दिखाया गया है कि जयदीप अहलावत का किरदार जदुनाथजी बृजरतनजी महाराज करसनदास मुलजी की पत्नी को गलत तरीके से छूता है। हालांकि, कई रिपोर्टों के अनुसार, इस सीन के वास्तविक होने की संभावना बहुत कम है। यह फिल्म नेटफ्लिक्स पर उपलब्ध है और यह देखना दिलचस्प होगा कि भविष्य में जुनैद का अभिनय करियर बॉलीवुड में कैसे आगे बढ़ता है। 

फिलहाल, नेटफ्लिक्स के 'महाराज' के बैकग्राउंड के डिटेल्स पर आपके क्या विचार हैं? हमें कमेंट करके जरूर बताएं।

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