By Shivakant Shukla Last Updated:
अभिनेता अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) की नातिन नव्या नवेली नंदा (Navya Naveli Nanda) ने हाल ही में, इस बारे में बात की है कि, कैसे एक परिवार बेटियों को बेटों से अलग मानता है। उन्होंने इस बारे में बात की कि, कैसे उनके परिवार में भी मेहमानों की देखभाल करने या घरेलू कर्तव्यों का पालन करने की अपेक्षा उनसे ही की जाती है, न कि उनके भाई से। आइए आपको बताते हैं उन्होंने क्या कहा है।
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नव्या नवेली नंदा, अमिताभ की बेटी श्वेता बच्चन और बिजनेसमैन निखिल नंदा की बेटी हैं। उनका एक छोटा भाई है, जिनका नाम अगस्त्य नंदा है।
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'SheThePeople' से बात करते हुए नव्या ने इस बारे में बात की कि, उनके परिवार में भी ऐसी चीजें हैं। उन्होंने कहा कि, "मैंने देखा है कि, यह घर पर होता है, जहां अगर हमारे पास कोई मेहमान आता है, तो मेरी मां हमेशा कहती हैं कि, जाओ और इसे ले आओ या जाओ और ले आओ और मुझे अपने भाई के विपरीत की भूमिका निभानी होगी, जो कि वह भी इसे कर सकता था।”
आगे उन्होंने कहा कि, “इसलिए मुझे लगता है कि, विशेष रूप से उन घरों में जहां आप संयुक्त परिवारों के साथ रहते हैं, घर चलाना सीखने या मेहमानों की देखभाल करना सीखने या मेजबानी सीखने की जिम्मेदारी हमेशा किसी न किसी तरह बेटी पर डाल दी जाती है। और मैंने कभी नहीं देखा कि, घर में मेरे भाई या छोटे लड़के को इतना महत्व दिया जाता है। मुझे लगता है कि, खुद महिलाएं यह विश्वास दिला रही हैं कि, घर की देखभाल करना हमारी जिम्मेदारी है।”
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नव्या अक्सर सोशल मीडिया पर लैंगिक मुद्दों पर बात करती हैं। वह आरा हेल्थ और प्रोजेक्ट नवेली भी चलाती हैं, जो महिलाओं की बेहतरी पर केंद्रित दो संगठन हैं। इससे पहले, 'मिस मालिनी' के साथ बातचीत में नव्या ने इस बारे में बात की थी कि, कैसे उनकी मां और दादी ने अपनी ज़रूरतों को परिवार की ज़रूरतों को हटकर रखा है। उन्होंने कहा था कि, "महिलाएं स्वाभाविक रूप से अपने परिवार के स्वास्थ्य और भलाई को अपने ऊपर प्राथमिकता देती हैं। मैंने अपनी दादी और मां के साथ अपने घर पर ऐसा होते देखा है। वे एकमात्र देखभाल करने वाले हैं। इस वजह से वे हमेशा परिवार, पति और बच्चों का ख्याल रखती हैं। मुझे नहीं लगता कि, उनकी अपनी हेल्थ, मानसिक या शारीरिक प्राथमिकता है। यह एक समाज के रूप में हमारे द्वारा थोपी गई लैंगिक भूमिकाओं से उपजा है और यहीं पर पितृसत्ता और कुप्रथा आती है, जहां पुरुष हमेशा परिवार के मुखिया और कमाने वाले रहे हैं, और महिला कार्यवाहक रही हैं। मुझे लगता है कि, महिलाओं के स्वास्थ्य को देखने और अपनी भलाई को प्राथमिकता देने के मामले में एक बड़ी असमानता पैदा हुई है।''
फिलहाल, नव्या की इस बात से आप कितना सहमत हैं? हमें कमेंट करके जरूर बताएं, साथ ही हमारे लिए कोई सलाह हो तो अवश्य दें।