By Pooja Shripal Last Updated:
बॉलीवुड एक्ट्रेस और निर्देशक नंदिता दास (Nandita Das) इस समय अपनी अपकमिंग फिल्म 'ज्विगाटो' के लिए सुर्खियों में बनी हुई हैं, जिसमें फेमस कॉमेडियन कपिल शर्मा और शहाना गोस्वामी मुख्य भूमिका में हैं। हाल ही में, नंदिता 'पिंकविला' की सीरीज़ 'वुमन अप सीज़न 4' में दिखाई दीं, जहां उन्होंने अपनी अपकमिंग फिल्म के साथ-साथ असमानता और रंगवाद जैसे कई टॉपिक्स पर बात की। इसके साथ ही उन्होंने सिंगल पैरेंट होने और अपने बेटे विहान संग बॉन्डिंग के बारे में भी खुलकर चर्चा की।
नंदिता साल 2017 में अपने पति सुबोध मस्करा से अलग हो गई थीं, उसके बाद से वह अपने बेटे विहान को अकेले ही पाल रही हैं। 'पिंकविला' से बातचीत में एक्ट्रेस-डायरेक्टर ने सिंगल पैरेंटिंग पर बात करते हुए कहा कि यह मुश्किल है, लेकिन इसमें प्यारी खुशियां भी हैं। सिंगल पैरेंटिंग पर बात करते हुए उन्होंने कहा, "तो सिंगल पैरेंटिंग के बहुत सवाल तो उठते ही हैं। लोग कहते हैं 'अच्छा तुम अलग हो गए, क्या हुआ? वह एक अच्छा लड़का लगता है।' मैं ऐसी ही हूं कि हां दो अच्छे लोग भी इतने कंफर्टेबल नहीं हो सकते। हमने शादी की संस्था को इतना महत्व दिया है, कुछ कमाल के रिश्ते हैं, लेकिन कुछ रिश्ते ऐसे भी हैं, जो या तो सुविधा की वजह से हैं या फिर महिला आर्थिक रूप से इंडिपेंडेंट नहीं है, इसलिए उस रिश्ते से बाहर नहीं निकल सकतीं या बच्चों की वजह या फिर कुछ और कारण भी हो सकते हैं।''
अपने एक एक्सपीरियंस को शेयर करते हुए उन्होंने कहा, ''मुझे याद है कि मैं एक बार विहान के स्कूल में टहल रही थी और एक बच्चे की मां मेरे पास आईं और उन्होंने कहा, 'ओह, मुझे बहुत अच्छा लग रहा है कि मैंने अपनी कंपनी के सीईओ के पद से इस्तीफा दे दिया है।' मेरा रिएक्शन ऐसा था कि 'ओह, क्या हुआ?' जबकि उनका कहना था कि उन्हें एक और सीईओ मिल जाएगा, लेकिन मेरे बच्चे को दूसरी मां नहीं मिलेगी'। इसने अचानक मुझे गिल्टी फील कराया। मैं सोच रही थी कि 'और मैं काम कर रही हूं'। विहान शायद छह या सात साल का था। मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं अपना शूट शुरू करने जा रही हूं और मुझे फिर बुरा लगने लगा।"
उन्होंने आगे कहा कि बच्चों को वास्तव में अपनी मां का काम देखना चाहिए, क्योंकि वे इस बात का सम्मान करेंगे कि उनकी मांओं के भी सपने और इच्छाएं होती हैं। नंदिता ने आगे कहा, "लेकिन सालों से मैंने महसूस किया है कि वास्तव में बच्चों के लिए अपनी मां को काम करते देखना शानदार है। इस तरह वे इस बात का सम्मान करेंगे कि माताओं को सिर्फ घर की देखभाल ही नहीं करनी है। उनकी भी इच्छाएं और सपने हैं। फिर वे उन्हें पूर्ण लोगों के रूप में देखना शुरू कर देंगे। तभी उनकी गर्लफ्रेंड्स होंगी और वे अन्य लड़कियों के साथ बातचीत करेंगे, वे उन्हें पूर्ण लोगों के रूप में देखेंगे।''
वर्किंग मॉम के बच्चों के बारे में एक स्टडी का जिक्र करते हुए नंदिता ने कहा, ''मुझे स्टैंडफोर्ड में पता चला कि वहां एक अध्ययन किया गया था, जहां उन्होंने कहा था कि अगर आपकी बेटी है और अगर वह किसी महिला को काम करते देखती है, तो आप उसके लिए एक आदर्श हैं। तो वह काम करने के आत्मविश्वास के साथ बड़ा होगा। यदि आपका एक बेटा है, तो चिंता न करें क्योंकि बेटा बड़ा होने पर अन्य महिलाओं के साथ बेहतर तरीके से पेश आएगा, क्योंकि उसने एक मजबूत महिला देखी है, जो इंडिपेंडेंट है।"
जब उनसे सिंगल पैरेंट होने के नाते सामने आने वाली चुनौती के बारे में पूछा गया, तो इस बारे में उन्होंने कहा, "हां, आपके सवाल का जवाब देने के लिए, सिंगल पेरेंटिंग मुश्किल है, यदि आप एक कामकाजी व्यक्ति हैं और आप एक महिला हैं, जो गिल्ट के साथ बड़ी हुई हैं, ऐसे में अधिकांश महिलाएं इसके साथ संघर्ष करती हैं, लेकिन इसके साथ प्यारी खुशियां भी हैं। मेरा और मेरे बेटे का एक प्यारा बंधन है और हम बहुत सी चीजों के बारे में बात करते हैं, हम एक साथ यात्रा करते हैं।''
फिलहाल, नंदिता के इन खुलासों पर आपकी क्या राय है? हमें कमेंट करके जरूर बताएं।