By Rinki Tiwari Last Updated:
‘द फ्लाइंग सिख’ के नाम से अपनी पहचान बनाने वाले मिल्खा सिंह (Milkha Singh) की जब मेहनत और टैलेंट की बात की जाती है, तो फिल्म ‘भाग मिल्खा भाग’ कम पड़ जाती है। इस फिल्म में मिल्खा सिंह की जिंदगी के बारे में दिखाया है, लेकिन कुछ ऐसी कहानी भी है, जिससे आज भी लोग बेखबर हैं। वो है उनकी जिंदगी का प्यार निर्मल कौर, जो भारतीय महिला वॉलीबॉल टीम की पूर्व कप्तान रह चुकी हैं। निर्मल कौर को पद्मश्री की उपाधि से भी नवाजा जा चुका है। यही नहीं, उन्होंने भारतीय सेना की सेवा भी की थी।
मिल्खा सिंह ऐसे पहले एथलीट हैं, जिन्होंने एशियन और कॉमनवेल्थ गेम में 400 मीटर रेस में गोल्ड मेडल जीता है। मिल्खा सिंह का स्पोर्ट करियर बेशक दुनिया के सामने है, लेकिन उनकी पर्सनल लाइफ के बारे में ज्यादातर लोगों को नहीं पता है। मिल्खा सिंह ने अपनी जिंदगी में तीन महिलाओं से प्यार किया, लेकिन अपनी पूरी जिंदगी बिताने का फैसला उन्होंने अपनी लाइफ पार्टनर निर्मल कौर संग किया। आज हम आपको दोनों की अनसुनी लव स्टोरी के बारे में बताएंगे।
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मिल्खा सिंह और निर्मल कौर पहली बार 1955 में श्रीलंका के कोलंबो में मिले थे, जहां दोनों एक टूर्नामेंट में शामिल हुए थे। एक तरफ निर्मल कौर महिला वॉलीबॉल टीम की कप्तान थीं, वहीं मिल्खा सिंह एथलेटिक्स टीम का हिस्सा थे। कोलंबो में एक भारतीय व्यवसायी ने वॉलीबॉल टीम और एथलेटिक्स टीम को मीटिंग के लिए बुलाया था और तभी मिल्खा सिंह पहली बार निर्मल कौर से मिले थे। मिल्खा के लिए यह पहली नजर का प्यार था। उस वक्त दोनों ने एक-दूसरे के साथ घंटों तक बातचीत की थी। कहा जाता है कि, उस जगह पर कोई कागज उपलब्ध नहीं होने के कारण मिल्खा सिंह ने निर्मल कौर के हाथ पर अपने होटल का रूम नंबर लिखा था। दोनों बाद में 1958 में फिर मिले थे, हालांकि इनकी प्रेम कहानी की शुरुआत 1960 में हुई थी, जब दोनों की मुलाकात दिल्ली के नेशनल स्टेडियम में हुई। उस समय तक मिल्खा सिंह ने एथलेटिक्स की दुनिया में अपना नाम बना लिया था और उन्होंने निर्मल कौर के साथ अपना कॉफी ब्रेक बिताना शुरू कर दिया था।
मिल्खा सिंह और निर्मल कौर के अफेयर की खबरें सुर्खियों में आने लगी थीं। हालांकि, तब तक दोनों ने अपनी बाकी की जिंदगी साथ बिताने का फैसला कर लिया था, लेकिन दोनों के लिए अपनी फैमिली को मनाना काफी मुश्किल था। मिल्खा सिंह और निर्मल कौर के परिवार उनके रिश्ते को स्वीकार करने के लिए तैयार ही नहीं थे, तब उस समय पंजाब के मुख्यमंत्री श्री प्रताप सिंह उनकी मदद करने और उनके परिवारों से बात करने के लिए आगे आए थे। मिल्खा सिंह और निर्मल कौर साल 1962 में शादी के बंधन में बंधे थे और 9 साल की उम्र के अंतर के बावजूद दोनों ने 59 साल तक एक साथ अपना जीवन बिताया।
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मिल्खा सिंह अपनी वाइफ निर्मल कौर से बहुत प्यार करते थे। साल 2007 में 'चंडीगढ़ गोल्फ क्लब' में मिल्खा सिंह ने अपनी वाइफ निर्मल कौर को अपने गुरू डॉ आर्थर डब्ल्यू हॉवर्ड से बहुत ही खूबसूरत तरीके से मिलवाया था। ‘द फ्लाइंग सिख’ ने कहा था, ‘मिलिए मेरी स्वीटहार्ट वाइफ से, जो मेरी हार्टबीट है।’ मिल्खा सिंह के ये शब्द बयां करने के लिए काफी हैं कि, वो अपनी वाइफ से किस कदर प्यार करते थे। साल 2019 में ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ संग बातचीत में निर्मल कौर ने बताया था कि, शादी के बाद उनका हर दिन वैलेंटाइन डे लगता था। उन्होंने कहा था, ‘बहुत से लोग नहीं जानते कि मैं एक हिंदू परिवार से आती हूं। मैंने मिल्खा सिंह जी को आदर्श माना और उन्होंने ही मेरे पिता मेहर चंद सैनी को मुझसे शादी करने के लिए राजी किया। मेरे पिता एक पढ़े-लिखे व्यक्ति थे और वे चाहते थे कि, मैं एक सच्चे और सीधे-सादे आदमी से शादी करूं, जो मिल्खा सिंह जी थे। भगवान की कृपा से हमने शादी के 55 साल पूरे कर लिए हैं और हर दिन हमारे लिए वैलेंटाइन डे जैसा है।’
मिल्खा सिंह और निर्मल कौर की तीन बेटियां हैं, जिनका नाम अलीजा ग्रोवर, सोनिया सांवलकर और मोना मिल्खा सिंह है। वहीं, उनका एक बेटा भी है, जिसका नाम जीव मिल्खा सिंह है। जहां सोनिया सांवलकर के नाम पर कई बेस्ट-सेलर किताबें हैं, वहीं मोना मिल्खा सिंह न्यूयॉर्क में एक डॉक्टर हैं और कोरोनावायरस के आपातकालीन रोगियों की देखभाल कर रही हैं। दूसरी ओर, जीव मिल्खा सिंह एक भारतीय पेशेवर गोल्फर हैं, जो 1988 में यूरोपीय दौरे में शामिल होने वाले भारत के पहले खिलाड़ी थे। अपने माता-पिता की तरह, उन्होंने कई पदक जीते हैं और उन्हें 2007 में 'पद्म श्री' से सम्मानित किया गया था। मिल्खा सिंह और निर्मल कौर ने सात साल के लड़के हविल्दर बिक्रम सिंह को भी गोद लिया था, जो 1999 में टाइगर हिल की लड़ाई में मारे गए थे।
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मिल्खा सिंह ने हमेशा अपनी पत्नी निर्मल कौर को अपनी सबसे बड़ी ताकत और अपने बच्चों की देखभाल करने का श्रेय दिया था। ‘द वीक’ से बातचीत में मिल्खा सिंह के हवाले से कहा गया था कि, ‘उन्होंने हमारे बच्चों को लगभग अकेले ही पाला। मैं मैट्रिक से आगे की पढ़ाई नहीं कर सका, लेकिन मेरे सभी बच्चे उच्च शिक्षित हैं, मेरी पत्नी की बदौलत। मेरी बेटी मोना सिंह एक डॉक्टर हैं, जो आपातकालीन चिकित्सा में माहिर हैं।’ 2013 में रिलीज हुई अपनी आत्मकथा ‘द रेस ऑफ माय लाइफ’ में मिल्खा सिंह ने एक समर्पित पत्नी और मां होने के लिए निर्मल कौर की प्रशंसा की थी। उन्होंने लिखा था, ‘निम्मी एक समर्पित पत्नी और मां हैं। मैं अभी भी इस बात से चकित हूं कि, वह कितनी कुशलता से अपने व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन को बिना किसी को नुकसान पहुंचाए मैनेज करती हैं।’
अपनी शादी के बाद साल 1963 में मिल्खा सिंह और निर्मल कौर दिल्ली से चंडीगढ़ शिफ्ट हो गए थे और उन्होंने 1980 के दशक में सेवानिवृत्त होने तक पंजाब के खेल विभाग में काम किया था। 2019 में ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से बातचीत में निर्मल ने बताया था कि, शादी के इतने सालों बाद भी मिल्खा हमेशा उनके लिए कार का दरवाजा खोलते थे। मिल्खा सिंह की तरफ निर्मल कौर को दिए गए सबसे अच्छे उपहार के बारे में पूर्व कप्तान ने कहा था, ‘जिस दिन से हमारी शादी हुई है, जब भी हम कहीं जाते हैं, सरदार जी ने हमेशा मेरे लिए कार का दरवाजा खोला है और यह हमारे विवाहित जीवन में हर दिन ऐसे ही रहता है। हमारे बच्चों और पोते-पोतियों के लिए भी यही सच है। अगर हम उनके द्वारा मुझे दिए गए सबसे बड़े उपहार की बात करें, तो उन्होंने अपनी आत्मकथा में लिखी पंक्तियाँ हैं: 'मेरे पास कई ट्राफियां हैं, लेकिन मेरे लिए सबसे बड़ी ट्रॉफी मेरी पत्नी निर्मल मिल्खा सिंह हैं’।’
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मिल्खा सिंह को पहला प्यार 1956 में मेलबर्न ओलंपिक के लिए अभ्यास करते हुए ऑस्ट्रेलिया में बेट्टी कथबर्ट से हुआ था। उस समय बेट्टी 18 साल की थीं और उन्हें मिल्खा की पगड़ी से प्यार हो गया था। ‘द वीक’ को दिए एक इंटरव्यू में मिल्खा सिंह ने कहा था, ‘मेरी पगड़ी देखकर बेट्टी बहुत खुश हुई थीं। उस समय ऑस्ट्रेलिया में बहुत कम सिख थे और बेट्टी ने पहले कभी पगड़ी नहीं देखी थी। अगले दिन वह मेरे पास आईं और पूछा कि, क्या मैं अपने सिर पर पगड़ी बांध सकती हूं?’
इसके बाद मिल्खा सिंह उन्हें अपने कमरे में ले गए और उन्होंने उनके सिर पर नीली पगड़ी बांधी थी। 1956 के ओलंपिक के दौरान बेट्टी ने तीन गोल्ड मेडल और मिल्खा का दिल जीत लिया था। 1960 में दोनों फिर मिले थे, लेकिन वह तब बहुत अच्छा नहीं कर रही थीं। मिल्खा सिंह ने 2006 में राष्ट्रमंडल खेलों के लिए मेलबर्न में बेट्टी के संपर्क में आने की कोशिश की थी, लेकिन उनकी कहानी का दुखद अंत हुआ। मिल्खा ने उस पल को याद करते हुए कहा था, ‘मैंने उसे घर बुलाया और उसके बेटे ने फोन उठाया। जैसे ही मैंने अपना परिचय दिया, उसने मुझे पहचान लिया। उसने कहा कि, वह अब नहीं रही। वह ब्लड कैंसर से पीड़ित थीं। लड़के ने मुझसे कहा कि, वे अब भी मेरे द्वारा उपहार में दी गई पगड़ी को स्मृति चिन्ह के रूप में रखते हैं।’
मिल्खा सिंह और निर्मल कौर का प्यार एक मिसाल है। उन्होंने 59 सालों तक एक-दूसरे को प्यार किया और जब दुनिया छोड़ने का समय आया, तब भी साथ नहीं छोड़ा। उनका प्यार इतना मजबूत था कि, पांच दिनों के भीतर ही दोनों ने दूसरी दुनिया में एक-दूसरे से मिलने का फैसला कर लिया। 13 जून 2021 को निर्मल मिल्खा सिंह ने COVID-19 से पीड़ित होने और 19 दिनों से अधिक समय तक इससे जूझने के बाद अंतिम सांस ली थी। वहीं, निर्मल कौर की निधन के पांच दिन बाद मिल्खा सिंह ने 91 वर्ष की आयु में 18 जून 2021 को चंडीगढ़ के एक अस्पताल में COVID-19 से संबंधित जटिलताओं के कारण अंतिम सांस ली।
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फिलहाल, ये बात तो सच है कि मिल्खा सिंह और निर्मल कौर की प्योर हर कपल के लिए एक मिसाल है। तो आपको दोनों की ये खूबसूरत लव स्टोरी कैसी लगी? हमें कमेंट करके जरूर बताएं, साथ ही कोई सुझाव हो तो अवश्य दें।