By Shikha Yadav Last Updated:
भारत में आज भी एक बड़ी संख्या में लोग लव मैरिज को अच्छा नहीं मानते। आज भी कुछ लोगों का मानना है कि लव मैरिज कभी सक्सेसफुल नही होती। अगर आप एक खुशहाल और सफल शादीशुदा जिंदगी चाहते हैं, तो उसके लिए आपको अपने माता-पिता की मर्जी से शादी करनी होगी, जिसे अरेंज मैरिज के नाम से जाना जाता है। हालांकि, यह बात हमेशा सच साबित नहीं होती। आपको कई कपल ऐसे मिल जाएंगे, जो लव मैरिज करने के बावजूद एक खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे हैं। ऐसी ही एक प्यार भरी कहानी है महारानी गायत्री देवी (Maharani Gayatri Devi) और महाराज सवाई मान सिंह द्वितीय (Maharaja Sawai Man Singh) की। आज भी किसी को इस बात पर यकीन नहीं होता कि मात्र 12 साल की उम्र में महारानी गायत्री देवी 21 साल के जयपुर के महाराजा पर दिल हार बैठी थीं, जिन्हें वह प्यार से ‘जय’ बुलाती थीं।
कहानी में हम आगे बढ़ें उससे पहले आपको महारानी गायत्री देवी के बारे में बताना बहुत जरूरी है। गायत्री देवी ने हमेशा अपने दिल की सुनी और समाज के बंधनों को तोड़ते हुए अपने दम पर जिंदगी जी। गायत्री देवी कूच बिहार की राजकुमारी थीं, जिनकी जिंदगी खुशियों से भरी रही। गायत्री देवी अपनी खूबसूरती के लिए भी दुनियाभर में मशहूर थीं। जब वे शिफॉन की साड़ी के साथ पर्ल का नेकलेस पहनकर निकलती थीं, लोग उनकी खूबसूरती निहारते रह जाते थे। गायत्री देवी भारत की सबसे मॉडर्न, इंडिपेंडेंट और फैशनेबल महारानियों में से एक हुआ करती थीं। उनकी मशहूर प्रेम कहानी आज भी लोगों के दिलों में जिंदा है।
बतौर कूच-बिहार की राजकुमारी गायत्री देवी का जन्म 23 मई, 1919 को लंदन में हुआ था। लंदन के ‘ग्लेंडोवर प्रिपेटरी स्कूल’ से उन्होंने अपनी शुरूआती शिक्षा हासिल की थी, जिसके बाद यहीं के ‘लंदन कॉलेज ऑफ़ सेक्रेटरीज’ से उन्होंने सचिवीय कौशल की पढ़ाई पूरी की। गायत्री देवी का बचपन बहुत ही अच्छा बीता था। वे जब भी अपने बचपन के बारे में बात किया करती थीं, तो उनके चेहरे की खुशी देखते ही बनती थी। एक बार गायत्री देवी ने ‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ को इंटरव्यू दिया था, जहां उन्होंने अपनी जिंदगी को लेकर कई खुलासे किये थे।
इंटरव्यू में गायत्री देवी ने कहा था, “जब भी मैं अपनी आंखें बंद करती हूं तो कूच-बिहार में बिताये गए अपने जीवन के सबसे सर्वश्रेष्ठ दिनों में पहुंच जाती हूं। वे मासूमियत भरे दिन थे, जब मैं Tiger Tim and Puck नाम की कॉमिक्स पढ़ा करती थी। जब मैं शिकार के लिए जाया करती थी और जब मैं हाथी के ऊपर बैठने की ज़िद्द किया करती थी। मैं हाथी की गर्दन पर बैठकर अपना सिर उसके कानों के बीच रखा दिया करती थी। शाम हो जाने पर मैं हाथी की सवारी करते हुए घर वापस आती थी। जब मैं इन पलों को याद करती हूं, तो उस समय में चली जाती हूं, जब मेरी जिंदगी में कोई बदलाव नहीं आया था और मेरे जिंदगी में मेरे प्रिय लोग मौजूद हुआ करते थे। मैं अक्सर अपने बचपन के दिनों को याद किया करती हूं, जब हमने भाइयों और बहनों के साथ मिलकर खूब मस्ती की थी”।
गायत्री देवी का मां का नाम इंदिरा देवी था। इंदिरा देवी अपनी बेटी गायत्री की अरेंज मैरिज नहीं करवाना चाहती थीं, क्योंकि एक समय में प्यार में पड़कर वे खुद अपना प्यार पाने के लिए जमाने से लड़ चुकी थीं। ऐसे में वे नहीं चाहती थीं कि उनकी बेटी भी सामाजिक मानदंड में बंधकर रह जाए। वहीं, गायत्री देवी से शादी से पहले महाराजा सवाई मान सिंह द्वितीय की पहले ही दो शादियां हो चुकी थीं। उनकी पहली पत्नी का नाम मरुधर कंवर था, जो कि जोधपुर के महाराजा सरदार सिंह जी की बेटी थीं। मरुधर कंवर से महाराजा सवाई मान सिंह की शादी 30 जनवरी 1924 को हुई थी। इसके बाद उन्होंने दूसरी शादी 24 अप्रैल 1932 को जोधपुर के महाराजा सुमेर सिंह जी की बेटी महारानी किशोर कंवर से की थी। (ये भी पढ़ें: भाभी ऐश्वर्या राय बच्चन की इस आदत से 'नफरत' करती हैं ननद श्वेता बच्चन नंदा, जानें इसके बारे में)
महाराजा सवाई मान सिंह द्वितीय को पोलो खेल में बहुत दिलचस्पी थी। जब वे 21 साल के थे, तो कोलकाता के वुडलैंड्स 1931 का पोलो मैच खेलने गए थे और यहीं पर उनकी मुलाकात गायत्री देवी से हुई थी। उस समय गायत्री देवी की उम्र केवल 12 साल थी। गायत्री देवी महाराजा सवाई मान सिंह द्वितीय के व्यक्तित्व से इतनी प्रभावित हुई थीं कि उन्हें देखते ही उन्हें उनसे प्यार हो गया था। दोनों ने तकरीबन 6 सालों तक चोरी-छिपे एक-दूसरे को डेट किया था। जब धीरे-धीरे लोगों ने उनके बीच पनप रहे प्यार पर ध्यान देना शुरू किया तो, उन्होंने गायत्री देवी की मां को सचेत किया कि गायत्री के लिए महाराजा की तीसरी पत्नी बनना बहुत मुश्किल होने वाला है। 'टाइम्स ऑफ़ इंडिया' से इंटरव्यू के दौरान गायत्री देवी ने उन खूबसूरत दिनों को भी याद किया था।
गायत्री देवी ने कहा था, “जब मैं बीते पलों को याद करती हूं, तो यह कह सकती हूं कि वे दिन बहुत मस्ती भरे रहे थे। अपने बड़ों को चकमा देकर सीक्रेट मीटिंग अरेंज करना अपने आप में बहुत चैलेंजिंग हुआ करता था। जय (महाराजा सवाई मान सिंह) के साथ हर दूसरे दिन ड्राइव पर जाना, छुप-छुप कर डिनर करना या फिर नदी में नाव चलाना, इन सबका अपना एक अलग ही आनंद हुआ करता था”। गायत्री देवी और सवाई मान सिंह की प्रेम कहानी का अंत भी बड़ा खूबसूरत रहा था। सवाई मान सिंह ने जिस तरह से गायत्री देवी के लिए अपने प्यार का इजहार किया था, वह साबित करता है कि वे वाकई में बहुत सज्जन पुरुष थे।
दरअसल, एक बार सैर करने के दौरान सवाई मान सिंह द्वितीय ने गायत्री देवी के सामने अपने प्यार का इजहार कर दिया था। उस समय गायत्री देवी केवल 16 साल की थीं। सवाई मान सिंह ने गायत्री देवी से पूछा था कि, क्या वे उनसे शादी करना चाहेंगी? और इस बारे में वे उनकी मां से भी बात कर चुके हैं। सवाई मान सिंह ने आगे कहा था कि वे पोलो खेलते हैं, घुड़सवारी करते हैं, हवाई जहाज चलाते हैं, उनकी मौत किसी भी समय हो सकती है। ऐसे में उन्होंने यह बात सुनिश्चित की थी कि यह सब जानने के बाद भी क्या गायत्री देवी उनसे शादी करना चाहती हैं। हालांकि, गायत्री देवी की मां इस शादी से खुश नहीं थीं। इसके बावजूद गायत्री देवी ने 9 मई 1940 में महाराजा सवाई मान सिंह द्वितीय से तीसरी शादी की। जानकारी के लिए बता दें कि, 'गिनीज बुक ऑफ़ रिकार्ड्स' में दोनों की शादी दर्ज है, क्योंकि ये इतिहास की अभी तक की सबसे महंगी शादी मानी जाती है।
हर प्रेम कहानी में उतार-चढ़ाव देखने को मिलते हैं और महारानी गायत्री देवी की कहानी कुछ अलग नहीं थी। अपने जीवन में गायत्री देवी को बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था। ये बात और है कि सभी कठिनाइयों का सामना गायत्री देवी ने डटकर किया। लूसी मूरे की किताब में गायत्री देवी ने उन दिनों का जिक्र किया है, जब उन्होंने दुल्हन के रूप में पहली बार जयपुर में अपने कदम रखे थे। गायत्री देवी ने कहा था, “जैसे-जैसे हम जयपुर के करीब पहुंच रहे थे, मेरी घबराहट बढ़ती जा रही थी। मैंने बहुत कोशिश की कि मेरी घबराहट सामने न आये, लेकिन शायद जय समझ गए थे कि मुझे कैसा महसूस हो रहा है। जैसे ही हम स्टेशन पर पहुंचे, कर्मचारियों ने हमारी गाड़ी से पर्दा हटाया और जय ने बड़े ही प्यार से मुझसे अपना चेहरा ढक लेने (घूंघट करने) को कहा”। (ये भी पढ़ें: एक्टर सलिल अंकोला की पहली पत्नी ने कर लिया था सुसाइड, दूसरी पत्नी से इस तरह से हुई थी मुलाकात)
हालांकि, गायत्री देवी ने महिलाओं द्वारा घूंघट करने के रिवाज को आगे नहीं बढ़ाया। उन्होंने अपने पति महाराजा सवाई मान सिंह से साफ-साफ कह दिया था कि वे घूंघट में अपनी पूरी जिंदगी नहीं बिताएंगी। बॉलीवुड एक्ट्रेस सिमी गरेवाल से इंटरव्यू में महारानी गायत्री देवी ने बताया था कि, उन्होंने अपने पति से वादा किया था कि यदि वे लड़कियों के लिए स्कूल खोलती हैं, तो सबसे पहले वे पर्दे वाले सिस्टम को हटाएंगी। इसके बाद महारानी गायत्री देवी ने अपना स्कूल खोला, जहां लड़कियों को बताया गया कि घूंघट करना या पर्दा करना सही नहीं है। गायत्री देवी ने आगे बताया था कि आगे चलकर इन लड़कियों ने अपने जीवन में एक बड़ा मुकाम हासिल किया और घूंघट प्रथा को खत्म करने के लिए अपनी पूरी जान लगा दी। (ये भी पढ़ें: ऐसी लड़की से शादी करना चाहते हैं सलमान खान, इंटरव्यू में शेयर की थीं दिल की फीलिंग्स)
आखिरकार, 1970 में पोलो खेलने के दौरान एक दुर्घटनावश इंग्लैंड में महाराजा सवाई मान सिंह द्वितीय की मृत्यु हो गई। गायत्री देवी और सवाई मान सिंह द्वितीय को एक बेटा हुआ था, जिनका नाम उन्होंने जगत सिंह रखा था। जगत सिंह ने थाईलैंड की राजकुमारी से शादी रचाई थी। जगत सिंह ड्रग्स और शराब की बुरी लत में फंस गए थे, जिसकी वजह से 90 के दशक में उन्होंने भी दुनिया को अलविदा कह दिया था, जबकि गायत्री देवी का निधन साल 2009 में हुआ था।
फिलहाल, भारतीय इतिहास में आज भी गायत्री देवी और सवाई मान सिंह की प्रेम कहानी बेस्ट मानी जाती है। तो आपको इनकी लव स्टोरी कैसी लगी? हमें जरूर बताएं, साथ ही हमारे लिए कोई सुझाव हो तो हमें अवश्य दें।