By Rinki Tiwari Last Updated:
70 और 80 के दशक में अपनी सिंपल ब्यूटी से लोगों का दिल जीतने वाली एक्ट्रेस मौसमी चटर्जी (Moushumi Chatterjee) ने बॉलीवुड की उस विचारधारा को हमेशा के लिए बदल दिया था, जिसमें कहा जाता था कि, ‘शादी के बाद एक्ट्रेसेस सक्सेसफुल नहीं हो पाती हैं।’ मौसमी एक ऐसी अभिनेत्री थीं, जिन्हें अपने एक्सप्रेशन दिखाने के लिए नकली चीजों की जरूरत नहीं होती थी। वो अपने अभिनय को जीती थीं और फिर जो उनका एक्सप्रेशन स्क्रीन पर आता था, वो वाकई लोगों के आंखों में आंसू ला देता था। महज 18-19 साल की उम्र में ऑन-स्क्रीन मां बनने से लेकर कैरेक्टर रोल तक में मौसमी ने अपने अभिनय का खूब जलवा बिखेरा। आज हम आपको मौसमी चटर्जी की पूरी जिंदगी के पहलुओं को अपने इस आर्टिकल के जरिए समझाने की कोशिश करेंगे।
26 अप्रैल 1955 को कोलकाता में जन्मी मौसमी का असली नाम इंदिरा चटर्जी है और ये नाम एक्ट्रेस की बहन ने उन्हें दिया था। उनके पिता एक फौजी थे और उनकी मां हाउसवाइफ थीं। मौसमी बचपन से ही एक्टिंग की दीवानी थीं। वो हमेशा से एक बेहतरीन एक्ट्रेस बनना चाहती थीं और वो बनीं भी। मौसमी कोलकाता में जहां रहती थीं, वहां कई फिल्म स्टूडियोज थे। एक दिन मौसमी वहां से गुजर रही थीं, तभी मौसमी पर उन दिनों के मशहूर फिल्म मेकर तरुण मजूमदार की नजर पड़ी और उन्होंने उसी वक्त मौसमी को अपनी बंगाली फिल्म ‘बालिका वधू’ के लिए चुन लिया। मौसमी, जो बचपन से ही फिल्मों में काम करना चाह रही थीं, आखिरकार उनका वह सपना 1967 में ‘बालिका वधू’ से पूरा हुआ।
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जब मौसमी इस फिल्म में काम कर रही थीं, उस वक्त उन्होंने अपनी हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी की थी। उनकी इस फिल्म में मौसमी के लाजवाब अभिनय ने लोगों को अपना कायल बना दिया था। फिल्ममेकर्स और डायरेक्टर्स उन्हें अपनी फिल्म में साइन करने के लिए बेताब थे, लेकिन एक्ट्रेस के पिता नहीं चाहते थे कि, मौसमी एक्टिंग करें।
फिल्म ‘बालिका वधू’ के बाद मौसमी का करियर आसमान ही छूने वाला था कि, उनकी शादी हो गई। एक इंटरव्यू में मौसमी ने कहा था, ‘बालिका बधू के बाद मेरे पास बंगाली फिल्मों की बाढ़ आ गई थी, लेकिन मैं अपनी पढ़ाई पूरी करना चाहती थी। हालांकि, फिल्में मेरे भाग्य में थीं। जब मैं दसवीं कक्षा में थी, तब मेरी चाची डेथ बेड पर थीं और वो चाहती थीं कि, वो मुझे शादीशुदा देखें। इसलिए उनकी इच्छा को पूरी करने के लिए मैंने शादी कर ली।’ उस वक्त मौसमी मुश्किल से 15 साल की हुई होंगी।
मौसमी चटर्जी का रिश्ता उनके पिता ने अपने पड़ोसी हेमंत कुमार के बेटे व उस वक्त मशहूर संगीतकार जयंत मुखर्जी (बाबू) के साथ तय कर दिया। दोनों ने बिना देर किए सगाई कर ली। भले ही कहने को ये अरेंज मैरिज थी, लेकिन मौसमी को अपने पति 'बाबू' से प्यार हो गया था। एक इंटरव्यू में मौसमी ने कहा था, ‘मुझे बाबू से प्यार हो गया। वो पहले ऐसे शख्स थे, जिनके साथ मैं अपने परिवार के अलावा टच में थी।’ उस वक्त एक्ट्रेस फिल्म ‘परिणीता’ में काम कर रही थीं।
शादी के बाद महज 18 साल की उम्र में मौसमी चटर्जी ने अपनी पहली बेटी पायल चटर्जी (दिवंगत) को जन्म दिया था। मौसमी ने उस वक्त अपने करियर की ऊंचाइयों को छुआ ही था कि, उनकी गोद में नन्ही पायल आ गईं। कई लोग मौसमी के डूबते करियर का दोष कम उम्र में ही उनके बच्चों के जन्म को देते हैं। इस बारे में जब ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ ने मौसमी से पूछा था, तब एक्ट्रेस ने जवाब देते हुए कहा था, ‘कुछ लोग मुझे कहते हैं कि, शुरुआती करियर में बच्चों के होने की वजह से मेरा करियर डूबा और ये मेरा करियर मिस्टैक था, लेकिन मैं ये नहीं मानती हूं।' मौसमी की दो बेटियां हुईं, जिनका नाम पायल (साल 2019 में देहांत) और मेघा (एक्ट्रेस) है।
बॉलीवुड में अक्सर अभिनेत्रियां शादी के बाद फिल्मी दुनिया से दूरी बना लेती हैं। इसके बहुत कारण होते हैं, जिनमें से पति को उनकी वाइफ का फिल्मों में काम करने से आपत्ति होना भी होता है। लेकिन इस जगह मौसमी बहुत किस्मत वाली निकलीं और इस बात को वो कई इंटरव्यूज में कहती हुई नजर भी आई हैं। एक इंटरव्यू में मौसमी ने कहा था, ‘मैं बहुत किस्मत वाली हूं, क्योंकि शादी के बाद मेरे पति व ससुर ने मुझे फिल्मों में काम करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने मेरे स्किल्स को पहचाना और मुझे शादी के बाद भी काम करने की इजाजत दी।’
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पति व ससुर के द्वारा लगाए गए पंखों के साथ मौसमी चटर्जी ने बॉलीवुड की ओर रुख किया। बॉलीवुड के मशहूर डायरेक्टर शक्ति सामंत ने अपनी फिल्म ‘अनुराग’ में मौसमी को कास्ट किया। इस फिल्म में उन्हें एक अंधी लड़की का किरदार निभाना था, जिसे अपने हीरो से प्यार हो जाता है। ये फिल्म उस वक्त सुपरहिट साबित हुई थी। यही नहीं, मौसमी बेस्ट एक्ट्रेस के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड में नॉमिनेटेड भी हुई थीं। हालांकि, शायद ही आपको पता हो कि, इस फिल्म के लिए पहले मौसमी ने मना कर दिया था। उन्हें लगा था कि, वो बिना ट्रेनिंग के किसी अंधी लड़की का किरदार नहीं कर पाएंगी, लेकिन मौसमी वाकई टैलेंटेड थीं। उन्होंने बिना किसी ट्रेनिंग के एक अंधी लड़की का किरदार निभाया था।
इस बारे में बात करते हुए मौसमी ने कहा था, ‘चूंकि मेरे ससुर एक प्रसिद्ध फिल्म सेलिब्रिटी थे, कई फिल्मी हस्तियां हमारे घर में आती थीं। उनमें से एक फिल्म निर्माता शक्ति सामंत थे, जिन्होंने मुझ पर अभिनय करने के लिए जोर दिया। शक्ति दा ने मुझे फिल्म ‘अनुराग’ के लिए चुना, लेकिन मैंने मना कर दिया था। हालांकि, मेरे पति व ससुर ने मुझे प्रोत्साहित किया और मैंने हामी भरी।’ मौसमी ने बताया था कि, वो पहली बार बॉलीवुड के स्टूडियो पहुंचकर काफी एक्साइटेड थीं और जिन्हें वो पर्दों पर देखा करती थीं, उन्हें वो असलियत में देखने के लिए बेताब थीं।
मौसमी चटर्जी ने अपने डेढ़ दशक के करियर में कई सुपरहिट फिल्में दी हैं, लेकिन सबसे बड़ी बात है कि उन्होंने अपने करियर के दौरान सभी सुपरस्टार्स के साथ काम किया था। मौसमी ने शशि कपूर, विनोद खन्ना, विनोद मेहरा, अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र, जीतेंद्र, राकेश रोशन समेत कई सफल अभिनेताओं के साथ स्क्रीन शेयर किया। हालांकि, मौसमी को असली स्टारडम साल 1974 में आई मनोज कुमार की फिल्म ‘रोटी, कपड़ा और मकान’ से मिला था। इस फिल्म के लिए उन्हें ‘बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस फिल्मफेयर अवॉर्ड’ से नवाजा गया था। इसके बाद उन्होंने ‘स्वर्ग नरक’, ‘मांग भरो सजना’, ‘प्यासा सावन’, ‘ज्योति बने ज्वाला’, ‘स्वयंवर’ और ‘आनंद आश्रम’ जैसी कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया।
मौसमी चटर्जी ने उस वक्त सबसे ज्यादा एक्टर विनोद मेहरा के साथ काम किया था। मौसमी और विनोद ने एक साथ 10 फिल्मों में काम किया, जिसमें दोनों की जोड़ी को खूब पसंद किया गया। हिंदी फिल्मों में अपने टैलेंट का जलवा दिखाने के बाद मौसमी ने मराठी फिल्मों में भी काम किया। लेकिन धीरे-धीरे मौसमी का करियर डूबने लगा और साल 1985 के बाद से उन्हें फिल्मों में सपोर्टिंग रोल मिलने लगा। उन्होंने ‘वतन के रखवाले’, ‘आग ही आग’ और ‘घायल’ जैसी कई फिल्मों में सहायक भूमिकाएं निभाईं हैं, जिसमें भी उन्हें अच्छी पहचान मिली है। अपने फिल्मी करियर में लाजवाब अभिनय करने वालीं मौसमी को साल 2015 में फिल्मफेयर की तरफ से ‘लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड’ भी मिल चुका है।
मौसमी चटर्जी ने फिल्मी दुनिया में अपने करियर को ऊंचाइयों में पहुंचाने के बाद अब राजनीति में कदम रखने का फैसला किया है। साल 2019 में मौसमी ने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ले ली है। इससे पहले, मौसमी ने कांग्रेस की सदस्यता ली थी। उन्होंने साल 2004 में बंगाल से चुनाव भी लड़ा था, लेकिन उन्हें शिकस्त हासिल हुई थी।
मौसमी चटर्जी अपनी दोनों बेटियों से बेहद प्यार करती थीं। उनकी बड़ी बेटी पायल क्रिएटिव एक्जीक्यूटिव थीं। पायल ने साल 2010 में बिजनेसमैन डिकी सिन्हा के साथ शादी की थी। ये उनकी लव मैरिज थी। लेकिन मौसमी के मुताबिक, पायल का कहना था कि, डिकी संग शादी करके उन्होंने बहुत बड़ी गलती की थी। पायल लंबे समय तक बीमार थीं, जिसके बाद दिसंबर 2019 में उनका निधन हो गया था। मौसमी और उनके पति जयंत ने बेटी पायल के निधन का दोष उनके पति डिकी सिन्हा को दिया और मुंबई हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
मौसमी और जयंत का कहना था कि, ‘साल 2017 से पायल की तबीयत बहुत खराब थी। यहां तक कि अप्रैल 2018 में वो कोमा में भी चली गई थी। लेकिन उनके पति डिकी सिन्हा पायल को अस्पताल से घर ले गए। डॉक्टर ने डिकी को पायल की फिजियोथैरेपी और डाइट का खास ख्याल करने के लिए कहा था, लेकिन डिकी ने उनकी फिजियोथैरेपी बंद करा दी थी। डाइट भी फॉलो नहीं कर रहे थे। पायल का ख्याल रखने के लिए भी कोई नहीं था।’ मौसमी और जयंत का यहां तक कहना था कि, डिकी ने पायल की मेडिकल रिपोर्ट दिखाने से मना कर दिया था और उनसे पायल को कभी मिलने नहीं देता था।
कहा जाता है कि, मौसमी व्यवहार से काफी चुलबुली हैं और वो फिल्मों की शूटिंग के दौरान सेट को काफी टेंशन फ्री कर देती थीं। मौसमी पहली ऐसी अभिनेत्री रहीं हैं, जिनका किसी भी स्टार्स के साथ कोई अफेयर नहीं रहा और ना ही खबरें आई हैं। हालांकि, व्यवहार से टॉम ब्यॉइश होने के नाते उनकी अभिनेताओं से अच्छी दोस्ती रही है। लेकिन, वो अपने को-स्टार्स से फ्लर्ट जरूर किया करती थीं। जब ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ ने मौसमी से उनके को-स्टार्स के द्वारा फ्लर्ट किए जाने की बात पूछी थी, तब एक्ट्रेस ने कहा था कि, स्टार्स नहीं बल्कि वो खुद दूसरों से फ्लर्ट करती थीं। मौसमी ने कहा था, ‘कभी-कभी उन्होंने किया, लेकिन सबसे ज्यादा मैं उनके साथ फ्लर्ट करती थी। शबाना ने एक बार मुझसे कहा था कि मुझमें 6 साल से लेकर 60 साल के बच्चे तक सबके साथ फ्लर्ट करने की क्षमता है। जब मैं सेट पर होती हूं, तब भी मैं सबके साथ फ्लर्ट करती हूं लेकिन मैं यह सुनिश्चित करती हूं कि यह हानिरहित हो। मैं स्टूडियो में गंभीर नहीं हो सकती हूं।’
मौसमी और उनके पति जयंत मुखर्जी को जब काफी समय तक एक-दूसरे के साथ नहीं देखा गया, तो लोगों के बीच कयास लगाए जाने लगे कि मौसमी और उनके पति बाबू यानी जयंत एक-दूसरे से अलग रहने लगे हैं। हालांकि, ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ संग बातचीत के दौरान मौसमी ने इन सभी अफवाहों को खारिज कर दिया था। जब इंटरव्यू में मौसमी को उनके पति से अलग होने वाला सवाल पूछा गया, मौसमी ने कहा था, ‘क्या! तुमसे किसने कहा? मेरे बच्चे, तुम मीडिया में घूम रहे एक सस्ते गपशप के शिकार हो गए हो।’ इसके बाद मौसमी तुंरत अपने पति को फोन मिलाकर उनसे बात करवाती हैं और सुनिश्चित कराती हैं कि, दोनों अभी भी साथ हैं।
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तो ऐसी थी मौसमी चटर्जी की जिंदगी की कहानी। वैसे, आपको हमारी ये स्टोरी कैसी लगी? हमें कमेंट करके जरूर बताएं, साथ ही कोई सुझाव हो तो अवश्य दें।