By Shashwat Mishra Last Updated:
दिलकश अंदाज के लिए फेमस और ज़िन्दगी को सिर्फ अपनी मर्जी से जीने वाले बॉलीवुड एक्टर 'फिरोज खान' को भला कौन नहीं जानता? अपने अलग पहनावे, हाथों में सिगार या सिगरेट, शर्ट के दो बटन खुले, लम्बा कद-काठी, खूबसूरत चेहरा और घोड़े पर बैठकर धम-धम के बैकग्राउंड म्यूजिक से एंट्री करने वाले इस एक्टर का अंदाज कोई नहीं भूल सकता है। इन्होंने अपने जीवन में हर वह काम किए हैं, जिसका आम इंसान सिर्फ हमेशा सपना ही देखता है। लेकिन, बॉलीवुड के इस एक्टर-डायरेक्टर-प्रोड्यूसर की ज़िन्दगी में जितना चकाचौंध था, उससे कई गुना ज्यादा घना अंधेरा भी था। इ
फिल्म 'कुर्बानी' से सभी के दिलों में राज करने वाले एक्टर फिरोज खान अपने स्टाइल और शौक के लिए हमेशा याद किए जाएंगे। बॉलीवुड़ इंडस्ट्री में उनकी जगह कोई दूसरा एक्टर नहीं ले सकता है। इनका जन्म 25 सितंबर 1939 को बैंगलोर में हुआ था। वहीं से प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने मुंबई का रुख किया था। इनके पिता सादिक खान अफगानी थे, जबकि मां फातमा ईरान देश से ताल्लुक रखती थी। हॉलीवुड़ स्टार क्लींट ईस्टवुड के फैन फिरोज खान लम्बी कद-काठी और गोरे रंग के धनी थे, जो उन्हें अक्सर उनके दोस्तों की बधाई से पता भी चलता रहता था। दोस्तों और रिश्तेदारों से मिल रही तारीफों ने उन्हें यह एहसास दिला दिया था कि वो एक खूबसूरत शख्स हैं और उनकी जगह फिल्मी दुनिया में है। इसलिए, उन्होंने सिनेमा की दुनिया का रूख किया। (ये भी पढ़ें: बेटे की शादी में अजहरुद्दीन की एक्स वाइफ संगीता बिजलानी ने की शिरकत, तलाक के 9 साल बाद हुआ सामना)
50 सालों तक फिल्म इंडस्ट्री में बने रहे फनकार फिरोज खान ने अपने पूरे करियर में 57 फिल्में की हैं। ज्यादातर फिल्मों में उनका नाम राजेश या राकेश हुआ करता था। महज 18 साल की उम्र में फिल्मी दुनिया में कदम रखने वाले अभिनेता फ़िरोज़ ख़ान ने अपने करियर की शुरुआत साल 1957 में आई फिल्म ‘जमाना’ में सहायक अभिनेता के रूप में की थी। इसके बाद अगले लगभग तीन साल तक उन्हें सहायक अभिनेता के रूप में ही फिल्में मिली, जिसमें 'दीदी' (1959) और 'घर की लाज' (1960) जैसी फिल्मों से वो रूपहले पर्दे पर अपनी उपस्थिति बनाए रहे। इसके बाद इन्हें कुछ छोटे बजट की फिल्में मिली, जो सफल भी रहीं थी, उनमें ‘रिपोर्टर राजू’, ‘सैमसन’, ‘चार दरवेश’, ‘एक सपेरा एक लुटेरा’ और ‘सीआईडी 999’ जैसी फिल्में थी, लेकिन फिल्मों में फिरोज लीड रोल में नज़र आए थे। करीब आठ साल के लम्बे स्ट्रगल के बाद साल 1965 में आई फ़िल्म ‘ऊंचे लोग’ और 'आरज़ू' से इन्हें एक बड़ी पहचान मिली, जो उनकी प्रतिभा के अनुरूप थी।
'आरज़ू' से ब्रेक मिलते ही कई एक्ट्रेस और लड़कियां फिरोज खान की दीवानी हो गई थी। ऐसा कहा जाता है कि जीनत अमान भी इनको अपना दिल दे बैठी थी और साथ ही इनके स्टाइल की भी कायल हो गई थी। मगर फ़िरोज़ को कभी इससे फर्क नहीं पड़ता था, वो अपने आपको कैसानोवा (अय्याश) और लड़कियों की इज्जत करने वाला मानते थे। एक इंटरव्यू के दौरान फिरोज़ ने बताया था, “जब मैं कुंवारा था तब मैं काफी कैसानोवा था और अक्सर क्लब और पार्टियों में बॉलीवुड की सबसे खूबसूरत महिलाओं के साथ देखा जाता था। मैं महिलाओं के साथ सम्मान से रहता हूं और यह मेरी बड़ी संख्या में महिला मित्रों की संख्या बताती है। दुर्भाग्य से, मुझे कुछ लोगों द्वारा एक व्यभिचारी के रूप में ब्रांडेड किया गया था।” (ये भी पढ़ें: सुहागरात में मच्छरों वाले रूम में गौरी को करना पड़ा था शाहरुख का वेट, जाने ऐसे ही कई अनसुने किस्से)
बॉलीवुड में पूरी रंगबाजी से व अपनी शर्तों पर फिल्में करने वाले एक्टर फिरोज खान का दिल 'सुंदरी ख़ान' पर आया था। सुंदरी और फ़िरोज़ की मुलाकात एक पार्टी के दौरान हुई थी, जिसके बाद दोनों एक-दूसरे के साथ डेटिंग करने लगे थे। करीब 5 साल तक रिलेशनशिप में रहने के बाद दोनों ने शादी करने का फैसला किया था। साल 1965 में दोनों एक-दूसरे के संग शादी के बंधन में बंध गए थे। हालांकि, सुंदरी पहले से शादीशुदा थी और उनकी एक बच्ची भी थी, जिसका नाम सोनिया था। कुछ रिपोर्ट्स की मानें तो शादी के वक़्त फ़िरोज़ ने इस बात (सुंदरी की पहली शादी से लड़की सोनिया के बारे में) को सबसे छुपाया था, जिससे कि किसी को इस बारे में पता न चल सके। जिसके बाद फ़िरोज़ ने सोनिया को अपने बच्चे की तरह ही प्यार दिया और उनके बड़े होने पर उन्हें अपने प्रोड्क्शन क्रू में शामिल कर लिया था। सोनिया की शादी बिजनेसमैन राजेंद्र सेठिया से हुई थी, लेकिन एक कार एक्सीडेंट में उनकी मौत हो गई थी।
'अपराध' और 'धर्मात्मा' जैसी फिल्मों के प्रोड्यूसर-डायरेक्टर और अपनी रौबीली आवाज़ के लिए मशहूर एक्टर फिरोज खान के दो बच्चे हैं। सुंदरी खान से शादी के लगभग 5 साल बाद उन्हें वर्ष 1970 में पहली संतान हुई थी, जिसका नाम उन्होंने 'लैला ख़ान' रखा था। इसके बाद साल 1974 में इनको फरदीन ख़ान के रूप में बेटा हुआ था। (ये भी पढ़ें: जब ईशा देओल ने भरत तख्तानी को जड़ दिया था थप्पड़, फिर ऐसे दोनों आए करीब)
अपने शौक को हमेशा प्राथमिकता देने वाले और अक्सर रातों में क्लब्स व पार्टियों में नज़र आने वाले एक्टर फिरोज खान का दिल एक बार फिर मचल उठा था। वो अक्सर फिल्मों की शूटिंग के लिए ट्रैवेल किया करते थे। एक बार अपने किसी काम के सिलसिले में जब वो प्लेन से सफर कर रहे थे, तभी उनका दिल उस प्लेन की एक एयर होस्टेस पर आ गया था। एयर होस्टेस दिखने में बेहद खूबसूरत थी और उसका नाम 'ज्योतिका धनराजगिर' था। ज्योतिका धनराजगिर 'रॉयल धनराजगिर फैमिली' से ताल्लुक रखती थी। धीरे-धीरे इन दोनों के बीच बातचीत बढ़ने लगी थी और जब फ़िरोज़ को पता चला कि ज्योतिका बैंगलोर से हैं, तो वो अक्सर उनसे मिलने वहां जाने लगे थे। कुछ दिनों बाद ज्योतिका और फ़िरोज़ ने लिव इन में रहना शुरू कर दिया था, जिसकी खबर जब सुंदरी को चली तो उन्हें गहरा सदमा लगा था। लेकिन, फ़िरोज़ ने उस वक़्त इस बात को नहीं माना था और कहा कि 'मेरे और सुंदरी की जिंदगी में कुछ भी गलत नहीं है और हमारे बीच कोई तीसरा नहीं आया है। बस, हमने अलग रहने का फैसला कर लिया है।'
फ़िरोज़ ख़ान को कभी इस बात का अंदाजा नहीं रहा होगा कि उनके इस कृत्य से सुंदरी उन्हें छोड़ने का मन बना लेंगी। लेकिन, सुंदरी ने फ़िरोज़ को कभी इसके लिए माफ नहीं किया था और अलग होकर अपने बच्चों का भरण-पोषण करने लगी थीं। उस वक़्त दिए गए एक इंटरव्यू में सुंदरी ने कहा था कि, 'मेरा घर से निकल जाना फिरोज के लिए किसी शॉक से कम नहीं है। उन्हें लगा होगा कि वह टिपिकल हसबैंड की तरह बर्ताव करेंगे और मैं बच्चों को देखते हुए कोई कदम नहीं उठाऊंगी। लेकिन मैं उन्हें, मुझे और मेरे बच्चों को एक अच्छी जिंदगी देने के लिए धन्यवाद देती हूं और आज मैं उस मुकाम पर पहुंची हूं जब मैं खुद के काम को पसंद करने लगी हूं।' इसके बाद सुंदरी ख़ान ने एक डिजाइनर के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी और उन्हें एक पहचान बनाने में सफलता भी हासिल हुई थी। (ये भी पढ़ें: बिग बॉस के घर में इन सेलेब्स ने जमकर किया था रोमांस, लेकिन घर से बाहर आते ही हो गए अलग)
सुंदरी ख़ान से तलाक होने के लगभग 2 साल बाद ज्योतिका धनराजगिर ने भी फिरोज खान को छोड़ दिया था और विदेश चली गई थी। इसके जिम्मेदार भी खुद फिरोज़ ही थे। दरअसल, एक इंटरव्यू के दौरान जब फ़िरोज़ से ज्योतिका के बारे में पूछा गया था, तब उन्होंने 10 साल से साथ रह रहे अपने लिव इन पार्टनर को पहचानने तक से इंकार कर दिया था। दूसरी तरफ, ज्योतिका के बार-बार कहने के बावजूद भी वो शादी के लिए ही नहीं मान रहे थे। इससे तंग होकर हारी हुई ज्योतिका ने अपने टूटे दिल के टुकड़ों को सहेजकर, फ़िरोज़ से जुदा होने का कठिन फैसला ले लिया था।
ज्योतिका के चले जाने के बाद फ़िरोज़ फिर से सुंदरी के साथ रहने चले आए थे, लेकिन अब रिश्ते में वो पहले जैसी बात नहीं थी। सुंदरी जहां घर में ग्राउंड फ्लोर पर रहती थी, वहीं फ़िरोज़ को पहले माले पर रहना पड़ता था। कुछ दिनों तक साथ में रहने के बाद फ़िरोज़ ने बैंगलोर शिफ्ट होने का मन बना लिया और वहां अपने फॉर्म हाउस में जाकर रहने लगे थे। फ़िरोज़ को घोड़ों का बहुत शौक था और वो अक्सर अपने फॉर्म हाउस पर घुड़सवारी किया करते थे। अपने एक बयान में उन्होंने कहा था कि 'भले ही हमारा डिवोर्स हो गया हो, लेकिन हमारी फीलिंग्स और कमिटमेंट अपने बच्चों को लेकर कम नहीं हुई हैं।'
साल 2000 में जब उन्हें पता चला कि उन्हें कैंसर है तो उसका इलाज कराने लगे थे, इसके बाद इसी बीमारी की वजह से साल 2009 में वो इस दुनिया से रुखसत हो गए। 2007 में आई अनीस बज़्मी की फिल्म 'वेलकम' उनकी ज़िन्दगी की आखिरी मूवी थी, इसमें उनका किरदार 'आरडीएक्स बॉस' आज तक लोगों के दिमाग में है। बॉलीवुड़ के इस जिंदादिल शख्सियत की जिंदगी के बारे में जानकार आपको कैसा लगा? अगर स्टोरी पसंद आई हो तो कमेंट जरूर करें, साथ ही हमारे लिए कोई सुझाव हो तो अवश्य दें।