By Pooja Shripal Last Updated:
भारत को 1947 में आजादी मिलने के बाद 1971 में भारतीय संविधान के 26वें संशोधन ने देश में राजशाही को समाप्त कर दिया था। हालांकि, अभी भी कई शाही परिवार हैं, जो एक शानदार लाइफ स्टाइल जीते हैं। वहीं अगर बात इनकी शादियों की आती है, तो इसका कोई मुकाबला नहीं है। ऐसी ही एक शादी थी प्रिंस जयदीप जडेजा (Prince Jaideep Jadeja) और राजकुमारी शिवात्मिका कुमार की, जिसे सबसे महंगी भारतीय शादियों में से एक माना गया है। आइए आपको इसके बारे में बताते हैं।
यह 2015 की बात है, जब गुजरात के राजकोट के 17वें राजा मांधाता सिंह जडेजा के बेटे व 23 वर्षीय प्रिंस जयदीप जडेजा ने राजस्थान के डूंगरपुर की पूर्व रियासत की राजकुमारी शिवात्मिका कुमार के साथ शादी की थी। शादी एक भव्य समारोह थी जहां मेहमानों ने वास्तविक शादी से पहले पूरा सप्ताह राजकोट शहर में बिताया था। जडेजा परिवार राजकोट के सबसे धनी शाही परिवारों में से एक है और उन्होंने अपने बेटे की शादी बहुत धूमधाम से की थी। शादी तो राजकोट में नहीं हुई थी, लेकिन शादी से पहले का जश्न यहां सात दिनों तक चला था और सिर्फ मेहमान ही नहीं बल्कि जनता भी इसकी गवाह बनी थी।
लगभग 1.3 मिलियन निवासियों की आबादी के साथ, राजकोट शहर में राजकुमार जयदीप जडेजा की वास्तविक शादी से पहले सात दिनों तक चलने वाला उत्सव मनाया गया था। शादी का मुख्य आकर्षण 8 किमी की भव्य बारात थी, जिसमें शाही ड्रेस में 30 राजकुमारों के साथ 5000 लोग शामिल थे, जो ऊंट और हाथियों के साथ चल रहे थे। बारात में दूल्हे राजा हाथी पर गोल्डन सिंहासन पर बैठे थे, जो किसी राजा की तरह दिख रहे थे। बारात में बैंड द्वारा कई पॉपुलर बॉलीवुड गाने बजाए गए थे, जो बारात के साथ चल रहे थे। इस दौरान राजकुमार की एक झलक पाने के लिए लोग सड़कों और छतों पर उमड़ पड़े थे।
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इस शादी के प्री-वेडिंग फंक्शन्स राजकोट के 100 कमरों वाले रंजीत विला में हुए थे, जहां सारे मेहमान सात दिनों तक रुके थे। यह विला 1870 में बना था और अब यह महल एक होटल में बदल गया है। कार्यक्रम की मेजबानी करने वाले दूल्हे के पिता ने कहा था कि वह खर्च से परेशान नहीं थे और इसके बजाय उन्होंने उत्सव में समाज के हर वर्ग को शामिल करने की कोशिश की थी।
एक सप्ताह तक चले शादी के इस जश्न में राजघराने ने राजकोट में लगभग 17,000 लोगों को खाना खिलाया था। उन्होंने गरीबों की मदद के लिए अस्पतालों और अनाथालयों का दौरा भी किया था और जरूरतमंदों की भलाई के लिए योगदान दिया था। दूल्हे के पिता राजकुमार मांधाता सिंह जडेजा ने गरीबों की सेवा करने की बात कही थी। उन्होंने कहा था, "लोगों से जुड़ने के लिए, इस फैक्ट का सम्मान करने के लिए कि हम इस घर में पैदा हुए हैं, हमें किसी न किसी तरह से लोगों की सेवा करनी चाहिए।"
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सप्ताह भर चलने वाले प्री-वेडिंग बैश के बाद, दूल्हा और उनके 600 मेहमान दुल्हन की मां के होम टाउन बैंगलोर के लिए गए थे। प्रिंस जयदीप जडेजा और प्रिंसेस शिवात्मिका कुमार की शानदार शादी महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के आधिकारिक निवास 'विंडसर कैसल' की तरह बने 'बैंगलोर पैलेस' में हुई थी।
बारातियों को जडेजा के निजी जेट से वेडिंग वेन्यू तक पहुंचाया गया था। बेंगलुरु की शादी राजकोट के भव्य समारोहों की तरह ही भव्य थी। हालांकि, शादी थोड़ी इंटीमेट थी, जिसमें शाही परिवार के सदस्य ही उपस्थित थे। 'बीबीसी' से बात करते हुए दूल्हे राजकुमार जयदीप जडेजा ने खुलासा किया था कि राजपरिवार किसी आम आदमी से शादी क्यों नहीं करते। उन्होंने कहा था, "मुख्य कारण यह है कि हम जैसे लोग केवल शाही परिवारों में ही शादी करते हैं, क्योंकि सामान्य लोगों के लिए घर में मौजूद प्रतिबंधों का सामना करना बहुत मुश्किल होता है।"
शादी के बजट की बात करें, तो इसमें कुल 150 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। दूल्हे के परिवार की तरफ से गरीबों को खाना खिलाने के साथ-साथ जरूरतमंदों को दान भी किया गया था और इसके लिए कुल 7-8 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे।
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आधुनिकता के बावजूद, राजघरानों ने अपने पारंपरिक मूल्यों और जड़ों को बनाए रखा है। फिलहाल, महाराजाओं के जीवन पर आपके क्या विचार हैं? हमें कमेंट करके जरूर बताएं।