By Pooja Shripal Last Updated:
जब हम भारत के सबसे पुराने और सबसे सफल बिजनेस ग्रुप्स की बात करते हैं, तो 'गोदरेज ग्रुप' वह नाम है जो हर किसी के दिमाग में आता है। दशकों से हमने कई समूहों को उभरते, शासन करते और गिरते देखा है, जो समय की कसौटी पर खरे नहीं उतरे, लेकिन 'गोदरेज समूह' भारत के उन कुछ ग्रुप्स में से एक है, जो 100 से अधिक वर्षों से विभिन्न क्षेत्रों में मजबूती से खड़ा है और अपना दबदबा बनाए हुए है। इसकी स्थापना 1897 में हुई थी और 2024 में 'गोदरेज ग्रुप' का मूल्य 1.76 लाख करोड़ रुपए के आसपास है।
'गोदरेज ग्रुप' रियल एस्टेट, उपकरण, फर्नीचर, सिक्योरिटी, कृषि उत्पाद, उपभोक्ता उत्पाद और औद्योगिक इंजीनियरिंग जैसे उद्योगों की एक सीरीज में काम करता है। प्रसिद्ध समूह की कई सहायक कंपनियां भी हैं, जिनमें 'गोदरेज इंडस्ट्रीज', 'गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स', 'गोदरेज एग्रोवेट', 'गोदरेज प्रॉपर्टीज' और 'गोदरेज एंड बॉयस एमएफजी कंपनी लिमिटेड' शामिल हैं।
अर्देशिर बुर्जोरजी सोराबजी गोदरेज, जिन्हें अर्देशिर गोदरेज (Ardeshir Godrej) के नाम से जाना जाता है, उनका जन्म बॉम्बे (अब मुंबई) में एक अमीर पारसी परिवार में हुआ था। उनका परिवार रियल एस्टेट का कारोबार करता था और यह जनवरी 1871 की बात है, जब अर्देशिर गोदरेज के पिता ने उनके परिवार का नाम बदलकर गोदरेज रख दिया। इसके पीछे का कारण ज्ञात नहीं है, लेकिन उनके पूरे परिवार ने नाम में बदलाव को स्वीकार कर लिया। यह 1890 में था जब 22 वर्षीय अर्देशिर की शादी बच्चूबाई से हुई, जो उनकी शादी के समय सिर्फ 18 वर्ष की थीं।
बच्चूबाई के साथ अपनी शादी के बाद, 1894 में अर्देशिर गोदरेज ने अपनी कानून की डिग्री पूरी की और एक वकील के रूप में काम करना शुरू किया। इतना ही नहीं, अपने परिवार की अमीर स्थिति के कारण वह कानून की प्रैक्टिस करने के लिए पूर्वी अफ्रीका चले गए। हालांकि, पूर्वी अफ्रीका में वकील के रूप में काम करने के दौरान कुछ बुरे अनुभवों के कारण अर्देशिर गोदरेज ने वकालत छोड़ दी और भारत वापस आ गए। बंबई लौटने पर उन्हें एक फार्मेसी में नौकरी मिल गई, जहां वे एक रसायनज्ञ को असिस्ट करते थे। तब अर्देशिर ने सर्जिकल उपकरणों के निर्माण में एक बड़ा अवसर देखा और एक विनिर्माण इकाई (manufacturing unit) स्थापित करने के लिए उन्होंने अपने पिता के दोस्त से 3,000 रुपए का कर्ज लिया।
जब अर्देशिर गोदरेज ने सर्जिकल उपकरणों के निर्माण बिजनेस में एंट्री की, तब उन्हें एक ब्रिटिश कंपनी के लिए काम करने का मौका मिला, लेकिन जल्द ही उत्पादों की ब्रांडिंग को लेकर विवाद खड़ा हो गया। दरअसल, ब्रिटिश कंपनी उत्पादों को अपने नाम से बेचना चाहती थी, लेकिन अर्देशिर प्रोडक्ट्स के टॉप पर 'मेड इन इंडिया' टैग के साथ 'गोदरेज' नाम लगाने पर अड़े थे। कुछ समय तक सर्जिकल उपकरण बनाने के बाद अर्देशिर ने इसे बंद कर दिया और ताला बनाने के बिजनेस में कूद पड़े, जिसने 'गोदरेज समूह' की नींव रखी।
जब अर्देशिर गोदरेज ने मुंबई में चोरी के बढ़ते मामलों के बारे में सुना, तो उन्होंने अपने भाई पिरोजशा बुर्जोरजी गोदरेज से हाथ मिला लिया। 7 मई 1897 को अर्देशिर और पिरोजशा ने अपनी सपनों की कंपनी 'गोदरेज ग्रुप' के लिए काम करना शुरू किया। ब्रिटिश तालों को मात देने से लेकर अलमारियां बनाने तक, अर्देशिर और पिरोजशा ने जानवरों की चर्बी के बिना दुनिया का पहला साबुन बनाया, जिसने उनकी कंपनी की प्रतिष्ठा को एक पायदान ऊपर पहुंचा दिया।
1947 में भारत की आजादी के बाद अर्देशिर गोदरेज और पिरोजशा बुर्जोरजी गोदरेज ने अपने बिजनेस को अलग-अलग क्षेत्रों में फैलाया, लेकिन यह ताला बनाने में उनकी मजबूत पकड़ थी, जिसने उनकी कंपनी 'गोदरेज' को भारत में सबसे अधिक लाभदायक कंपनियों में से एक बना दिया। गोदरेज की यात्रा में एक और बड़ा मील का पत्थर वह था, जब उन्हें 1951 में स्वतंत्र भारत में पहले लोकसभा चुनावों के लिए 17 लाख मतपेटियां बनाने का ठेका दिया गया था। इसके बाद आने वाले सालों में 'गोदरेज' अलमारी से लेकर रेफ्रिजरेटर, इलेक्ट्रॉनिक आइटम और घरेलू उपकरण तक खरीदने के मामले में लगभग हर भारतीय का पसंदीदा ब्रांड बन गया। 2024 तक तेजी से आगे बढ़ते हुए गोदरेज समूह की कीमत 1.76 लाख करोड़ रुपए है।
यह मई 2024 में था जब गोदरेज समूह ने एक आधिकारिक सार्वजनिक बयान जारी किया था, जिसमें ग्रुप ने स्पष्ट रूप से कहा था कि वह दो भागों में विभाजित होने जा रहा है। एक तरफ, आदि गोदरेज और उनके भाई नादिर गोदरेज हैं, तो दूसरी तरफ, उनके चचेरे भाई जमशेद गोदरेज और स्मिता गोदरेज कृष्णा हैं।
बयान के अनुसार, उनके 127 साल पुराने फैमिली बिजनेस को बांटने का फैसला उनका आपसी फैसला था, जो गोदरेज परिवार के सभी सदस्यों द्वारा लिया गया था। बंटवारे से रणनीतिक फैसलों को बढ़ाने और समूह के लिए दीर्घकालिक मूल्य बनाने में मदद मिलेगी। वैसे, यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह विभाजन भारत के सबसे पुराने समूह में से एक को मजबूत कर पाएगा।
फिलहाल, यह अविश्वसनीय है कि अर्देशिर गोदरेज ने 'गोदरेज' कंपनी कैसे बनाई, जो अब भारत के अग्रणी समूहों में से एक है। उनकी यात्रा पर आपके क्या विचार हैं? हमें कमेंट करके जरूर बताएं।।