दिवंगत अभिनेता सुनील दत्त की 93वीं बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर उनका एक पुराना इंटरव्यू चर्चा में है, जिसमें उन्होंने भारत-पाक बंटवारे के दौरान के अपने अनुभव को साझा किया था। आइए आपको इस बारे में बताते हैं।
बॉलीवुड के महान अभिनेता, निर्देशक, निर्माता और राजनेता रह चुके स्वर्गीय सुनील दत्त (Sunil Dutt) की 6 जून 2022 को 93वीं बर्थ एनिवर्सरी है। इस मौके पर सोशल मीडिया पर दिवंगत एक्टर को भावुक पोस्ट के जरिए याद किया जा रहा है। इसी बीच उनका एक पुराना इंटरव्यू एक बार फिर चर्चा में है, जिसमें उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के दौरान के अपने अनुभव साझा किए थे।
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50 से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुके संजय दत्त के पिता सुनील दत्त का जन्म 6 जून 1929 को पाकिस्तान के झेलम जिले में हुआ था। भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के बाद सुनील दत्त भारत आ गए थे। उस समय सुनील केवल 18 साल के थे। भारत आने के बाद उन्होंने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत 1955 में आई फिल्म ‘रेलवे प्लेटफॉर्म’ से की थी। अब उनकी बर्थ एनिवर्सरी पर उनके बीते दिनों को याद किया जा रहा है।
सुनील दत्त का जीवन काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा था। 5 साल की उम्र में पिता को खो देने के बाद 18 साल की उम्र में बंटवारे के बाद वो पाकिस्तान छोड़कर भारत आ गए थे। पाकिस्तान से भारत आने की दास्तान उन्होंने एक इंटरव्यू में बताई थी।
सुनील दत्त का ये इंटरव्यू साल 2005 का है, जो उन्होंने 'रेडिफ' को दिया था। इस इंटरव्यू में उन्होंने भारत विभाजन के समय को याद करते हुए बताया था कि, कैसे उनके पिता के एक मुस्लिम दोस्त ने भारत आने के लिए उनकी मदद की थी। उन्होंने कहा था, "जब मैं 5 साल का था, तब मेरे पिता की मृत्यु हो गई थी। हम बिना किसी समस्या के गांव में रहते थे। वहां हिंदुओं से ज्यादा मुसलमान थे। विभाजन के दौरान, मेरे पूरे परिवार को मेरे पिता के एक मुस्लिम दोस्त, जिनका नाम याकूब था, उन्होंने बचाया था। उन्होंने हमें झेलम से भागने में मदद की थी। मैंने अपनी मैट्रिक के बाद पाकिस्तान छोड़ दिया। मुझे लाहौर जाने का कभी मौका नहीं मिला था। जब मुझे बेनजीर भुट्टो की शादी में आमंत्रित किया गया, तो मैं कराची गया था। मैं बहुत उत्सुक था कि, मेरी पत्नी (नरगिस, जिनका मई 1981 में निधन हो गया) को भी मेरा गांव देखना चाहिए, हम कैसे स्कूल गए।"
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उन्होंने इंटरव्यू में आगे कहा था कि, फिल्म स्टार बनने के दशकों बाद जब वो अपने पैतृक गांव गए, तो वहां उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया था। उनके स्वागत के लिए उनके नाम के बड़े-बड़े बैनर लटकाए गए थे। साथ ही उन्हें उनके खेत भी दिखाए गए थे। उन्होंने कहा था, ''टेलीविजन चैनलों में ग्रामीणों से पूछा गया कि, वो मुझे इतना स्नेह क्यों दे रहे हैं? ग्रामीणों ने कहा, यह सुनील की वजह से नहीं है, उनके पूर्वजों की वजह से है, जो यहां रहते थे और हमें इतना सम्मान देते थे। वो (सुनील दत्त के पूर्वज) अच्छे लोग थे और हमारे धर्म का सम्मान करते थे। वो जमींदार थे। हमारे गांव के बाहरी इलाके में एक दरगाह है, जब वो दरगाह के पास आते थे, तो वे अपने घोड़े से नीचे उतर कर दरगाह को पार करते थे, फिर घोड़ों पर चढ़कर आगे बढ़ते थे। उन्होंने हमें इतना सम्मान दिया, तो हम उनका सम्मान क्यों नहीं करेंगे?’'
जो नहीं जानते उन्हें बता दें कि, सुनील दत्त भारतीय सिनेमा के महान और दिग्गज अभिनेता थे। एक्टिंग ही नहीं उन्होंने फिल्मों का निर्देशन भी किया था और बाद में राजनीति में भी हाथ आजमाया था। उनकी फिल्म 'मदर इंडिया' आज भी भारतीय सिनेमा के इतिहास की खास फिल्मों में से एक है। इस फिल्म में अभिनेत्री नरगिस ने उनकी मां का किरदार निभाया था, जो रियल लाइफ में उनकी जीवनसंगिनी बनी थीं। सुनील और नरगिस के तीन बच्चे संजय दत्त, प्रिया दत्त और नम्रता दत्त हैं।
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फिलहाल, स्वर्गीय दिग्गज अभिनेता हमेशा लोगों के दिलों में जिंदा रहेंगे। तो आपको सुनील दत्त की कौन सी फिल्म अच्छी लगती है? हमें कमेंट करके जरूर बताएं, साथ ही हमारे लिए कोई सलाह हो तो अवश्य दें।