बॉलीवुड एक्ट्रेस वहीदा रहमान को गुरु दत्त की शादीशुदा जिंदगी में दरार लाने की वजह माना जाता है। आइये जानते हैं इस बारे में।
बॉलीवुड एक्ट्रेस वहीदा रहमान (Waheeda Rehman) एक ऐसी टैलेंटेड एक्ट्रेस रह चुकी हैं, जिन्होंने हिंदी के अलावा तमिल, तेलुगू, बंगाली और मलयालम जैसी भाषाओं में कई फिल्में की हैं। 50 और 60 के दशक में वहीदा ने अपनी खूबसूरती और अभिनय के दम पर हर किसी के दिल में जगह बना ली थी। 1957 से पहले वहीदा तेलुगू सिनेमा का जाना-माना नाम थीं। इस दौरान जब बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता गुरु दत्त (Guru Dutt) ने उन्हें देखा, तो उन्होंने वहीदा को मुंबई लाकर बॉलीवुड में एक्ट्रेस को मौका देने की सोची और अपनी प्रोडक्शन फिल्म ‘सीआईडी’ से उन्हें इंडस्ट्री में लॉन्च कर दिया। यही वो समय था, जिसके बाद वहीदा ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा और ‘प्यासा’ ‘कागज़ के फूल’ जैसी फिल्मों में गुरु दत्त के साथ पेयरिंग कर हिंदी सिनेमा में नई क्रांति ला दी। यही वो दौर था, जब वहीदा की प्रोफेशनल लाइफ के साथ-साथ पर्सनल लाइफ में भी बड़े बदलाव आए।
वहीदा उन दिनों जहां लगातार सफलता की सीढ़ियां चढ़ ही रहीं थीं। कई फिल्मों में एक साथ काम करने के चलते उनकी गुरु दत्त से नजदीकियां भी बढ़ने लगी थीं। यही नहीं, गुरु दत्त भी वहीदा के प्यार में पागल होने लगे थे। हालांकि, इन दोनों के प्यार के बीच एक महिला ऐसी भी थी, जो इन दोनों की लव स्टोरी को मुकम्मल नहीं होने देना चाहती थीं। वो और कोई नहीं, बल्कि गुरु दत्त की पत्नी गीता दत्त थीं। (ये भी पढ़ें: पहली पत्नी ऋचा शर्मा की फैमिली की वजह से हुआ था संजय दत्त का तलाक, एक्टर ने लगाए थे इतने गंभीर आरोप)
गीता दत्त की गुरु दत्त के साथ 1953 में शादी हुई थी। कुछ सालों तक सब कुछ अच्छा चल रहा था, लेकिन वहीदा रहमान के दोनों की जिंदगी में आ जाने से एक्टर की शादीशुदा लाइफ हिचकोले खाने लगी थी। वहीदा की एंट्री के बाद गीता और गुरु में हर रोज लड़ाइयां होने लगीं। बात इतनी आगे बढ़ गई कि साल 1957 के बाद से दोनों अलग-अलग रहने लगे।
गुरु दत्त के एक दोस्त अबरार अल्वी ने अपनी किताब ’10 ईयर्स विद गुरु दत्त’ में बताया है कि गीता दत्त, वहीदा और अपने पति के बीच संबंधों के खिलाफ थीं। वहीदा के परिवार के लोग भी उनका निकाह गुरु दत्त के साथ नहीं करवाना चाहते थे, क्योंकि दोनों के धर्म अलग-अलग थे। अपने सामने विकट परिस्थिति बनते देख, आखिरकार गुरु दत्त ने साल 1963 में अपना घर बचाने के लिए वहीदा को छोड़ने का फैसला किया। (ये भी पढ़ें: मान्यता को संजय दत्त ने गिफ्ट किये थे 100 करोड़ के 4 फ्लैट, लेकिन पत्नी ने लौटा दिए, जानें क्यों?)
इस किताब में ये भी बताया गया है कि गुरु दत्त अपनी बीवी और बच्चों से दूर नहीं रह पा रहे थे। वो अपनी ढाई साल की बेटी से मिलना चाहते थे, लेकिन गीता अपनी बच्ची एक्टर के पास भेजने को राजी नहीं थीं। इधर अपनी फैमिली के चलते गुरु दत्त ने वहीदा से भी दूरी बना ली थी, जिसकी वजह से वो बिल्कुल अकेले पड़ गये थे। गुरु दत्त को धीरे-धीरे अकेलापन खाने लगा था और वो अपने दोस्तों से खुद को मारने की बातें किया करते थे, एक बार तो उन्होंने नशे की हालत में गीता को ये तक कह दिया था कि ‘मेरी बेटी भेज दो वर्ना तुम मेरी मरी हुई लाश देखोगी।’
गुरु दत्त को उनके अकेलेपन ने शराब और नशे का आदी बना दिया था, जिस वजह से धीरे-धीरे उनका करियर भी डूबने लगा। इधर उनकी बुरी लत और डिप्रेशन अटैक आने के चलते वहीदा ने भी एक्टर से दूरी बनानी शुरू कर दी। साल 1964 से चीजें और बुरी होती चली गईं और गुरु दत्त स्लीपिंग पिल्स और शराब की हैवी डोज लेने लगे। 10 अक्टूबर 1964 को जब एक्टर के दोस्त अबरार उनके घर पहुंचे, तो उन्होंने गुरु दत्त को मृत पाया और इस तरह एक्टर को जीते जी न ही उनका प्यार मिल सका और न ही अपना परिवार।
एक बार ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ को दिए गए इंटरव्यू में वहीदा ने गुरु दत्त से अपनी पहली मुलाकात का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि, ’16 से 17 की उम्र में मैं स्टेज के लिए डांस करती थी। इसके बाद मैंने एक तेलुगू फिल्म की, जो काफी हिट हो गई। उसी की सिल्वर जुबली सेलिब्रेशन के चलते मैं आंध्र प्रदेश गई हुई थी। संयोगवश गुरु दत्त भी वहां मौजूद थे। वो मुझे जानते नहीं थे और मुझे भी नहीं पता था कि वो कौन थे।” (ये भी पढ़ें: पिता जेमिनी गणेशन के साथ वायरल हुई रेखा की ये अनदेखी फोटो, पहचान में नहीं आ रहीं एक्ट्रेस)
वहीदा ने आगे बताया था, “वो अपने ऑफिस में थे और तभी उन्होंने बाहर भारी भीड़ नोटिस की। वो अपने डिस्ट्रीब्यूटर के साथ बैठे हुए थे, जिन्होंने उनको बताया, ‘यहां एक लड़की है जिसने मूवी में डांस किया है। वो काफी पॉपुलर बन गई है, जिस वजह से तेलुगू स्टार्स के साथ ही ऑडियंस उसका नाम भी बुला रही है। उसका नाम वहीदा रहमान है।’ इस पर गुरु दत्त ने कहा, ‘वहीदा रहमान तो एक मुस्लिम नाम लग रहा है। क्या वो हिंदी बोलती है।’ इसके बाद जब डिस्ट्रीब्यूटर ने हिंदी बोलने को लेकर हामी भरी, तो उन्होंने उससे पूछा कि क्या वो मुझसे मिल सकते हैं। ऐसे हमारी मुलाकात हुई, उन्होंने मुझसे मेरी हिंदी चेक करने के लिए थोड़ी बातचीत की और फिर वो चले गए। इसके 3 से 4 महीने बाद जब मैं चेन्नई वापस आई, तो किसी ने मुझे बताया कि जिस जेंटलमैन से मैं हैदराबाद में मिली थीं, उन्होंने मुझे टेस्ट के लिए बॉम्बे बुलाया है।”
रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक बार वहीदा रहमान से जब गुरु दत्त के आत्महत्या करने की वजह पूछी गई, तो उन्होंने इसका जवाब देते हुए कहा था, “कोई उनकी सुसाइड के पीछे की वजह नहीं जानता है। कुछ लोग कहते हैं कि वो अपनी फिल्म ‘कागज के फूल’ फ्लॉप होने के चलते डिप्रेशन में थे, लेकिन मुझे नहीं लगता कि ऐसी कोई वजह हो सकती है। क्योंकि इसके बाद उन्होंने ‘चौदहवी का चांद’ फिल्म बनाई थी, जो सुपरहिट हुई थी।”
फ़िलहाल, गुरु दत्त और वहीदा रहमान की प्रेम कहानी ऐसी थी, जो कभी मुकम्मल नहीं हो पाई। तो आपको ये स्टोरी कैसी लगी? हमें कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं, साथ ही कोई सुझाव हो तो अवश्य दें।