इस आर्टिकल में हम आपको भारत के उन फेमस शाही परिवारों के बारे में बताएंगे, जो अपनी राजशाही परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं और आज भी उनके वंशज लग्जरी जिंदगी जीते हैं।
प्राचीन भारत में एक राजा होता था, जो अपनी प्रजा का ध्यान रखता था। राजा की मृत्यु के बाद उसका उत्तराधिकारी शासन करता था। इस प्रकार राजाओं का वंश और विरासत दोनों आगे बढ़ते थे। हालांकि, आज के समय में राजशाही व्यवस्था खत्म कर दी गई है, लेकिन अभी भी कुछ परिवार ऐसे हैं, जो अपने पूर्वजों की विरासत को जिंदा किए हुए हैं। इन परिवारों की अपनी एक अलग ही पहचान है। आइए एक नजर डालते हैं, भारत के कुछ मौजूदा शाही परिवारों पर।
सबसे पुराने राजवंशों में से एक, मेवाड़ राजवंश को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। कई संरक्षकों के बाद, साल 1984 में उदयपुर के श्रीजी अरविंद सिंह मेवाड़ को इस राजवंश का 76वां संरक्षक बनाया गया था। यह राजघराना आज भी अपनी बेशुमार दौलत के लिए जाना जाता है। उदयपुर स्थित महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउंडेशन (एमएमसीएफ) के अध्यक्ष और प्रबंध ट्रस्टी के रूप में, श्रीजी अरविंद सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण कर रहे हैं। अरविंद सिंह राजा होने के साथ-साथ एक सफल बिजनेसमैन भी हैं और 'एचआरएच ग्रुप ऑफ होटल्स' के मालिक हैं।
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अरविंद सिंह की शादी गुजरात के कच्छ की राजकुमारी विजयराज से हुई है। उनके दो बेटियां और एक बेटा है। उनकी एक बेटी का नाम भार्गवी कुमारी मेवाड़, दूसरी बेटी का नाम पद्मजा कुमारी मेवाड़ और बेटे का नाम लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ है। अरविंद सिंह और उनकी पत्नी उदयपुर सिटी पैलेस में रहते हैं। पर्यटन इंडस्ट्री में सबसे समृद्ध माने जाने वाले अरविंद सिंह के पास उदयपुर में प्राचीन कारों का एक संग्रहालय भी है।
वाडियार राजवंश का इतिहास भगवान कृष्ण के यदुवंशी वंश के समय का है। श्रीकृष्ण ने एक बार मैसूर राज्य पर शासन किया था। आपको जानकर हैरानी होगी कि, सन 1612 में, विजयनगर की रानी अलमेलम्मा ने वाडियार वंश को सिंहासन पर जबरन कब्जा करने के चलते श्राप दिया था। महारानी ने मरने से पहले कहा था कि, 'इस वंश के राजा-रानी के कभी बच्चे नहीं होंगे'। तब से अब तक, लगभग 400 सालों से वाडियार राजवंश में किसी भी राजा को संतान के तौर पर पुत्र नहीं हुआ है। राजा-रानी अपने वंश की परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए परिवार के किसी दूसरे सदस्य के पुत्र को गोद लेते हैं।
वर्तमान में वाडियार वंश के मुखिया यदुवीर कृष्णदत्त चामराजा वाडियार हैं। यदुवीर भी प्रत्यक्ष उत्तराधिकारी नहीं हैं। उन्हें भी इसी परंपरा के तहत गोद लिया गया है। राजकुमार यदुवीर की शादी डूंगरपुर की राजकुमारी त्रिशिका कुमारी सिंह से हुई है। यदुवीर और त्रिशिका कुमारी को एक बेटा है। यदुवीर के चाचा श्रीकांतदत्त वाडियार थे। श्रीकांत, मैसूर के प्रसिद्ध 'रॉयल सिल्क' के मालिक थे। श्रीकांतदत्त की मौत के बाद यदुवीर ही 'रॉयल सिल्क' के मालिक हैं।
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राजपूत वंश के वंशज, महाराजा भवानी सिंह जयपुर के अंतिम नाममात्र के प्रमुख थे। भवानी सिंह का कोई पुत्र नहीं था, इसलिए उन्होंने साल 2002 में, अपनी बेटी दीया कुमारी के बेटे पद्मनाभ सिंह को अपना उत्तराधिकारी मान लिया था। भवानी सिंह की मृत्यु के बाद, पद्मनाभ को अनौपचारिक रूप से 13 वर्ष की उम्र में ही जयपुर के महाराजा के रूप में ताज पहना दिया गया था।
दरअसल, पद्मनाभ राष्ट्रीय स्तर के पोलो खिलाड़ी हैं और फैशन की दुनिया में एक जाना-माना नाम हैं। पद्मनाभ पहले ऐसे महाराजा हैं, जिन्होंने 'Airbnb' पर अपना निजी स्थान किराए पर दिया है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि, 'जयपुर सिटी पैलेस' में एक कमरे की कीमत लगभग 5,70,000 रुपए है। ये सारा पैसा 'राजकुमारी दीया कुमारी फाउंडेशन' को जाता है।
अलसीसर के शाही परिवार ने खेतड़ी के राज्य पर शासन किया था। वर्तमान में इस परिवार के मुखिया महाराजा अभिमन्यु सिंह हैं। राजस्थान के इस शाही परिवार के जयपुर और रणथंभौर में महल हैं। यही नहीं, अभिमन्यु ने अलसीसर पैलेस को एक शानदार हेरिटेज होटल में बदल दिया है। अभिमन्यु काफी लोकप्रिय हैं, क्योंकि वह 'मैगनेटिक फील्डस फेस्टिवल' के को-ऑर्डिनेटर हैं। उन्हें भारत का 'पार्टी प्रिंस' भी कहा जाता है।
जोधपुर पहले राठौरों द्वारा शासित था। इसकी स्थापना 8वीं शताब्दी में हुई थी। महाराजा गज सिंह इस राज्य के वर्तमान शासक हैं। महाराजा गज सिंह राज्यसभा के सदस्य थे और उन्होंने त्रिनिदाद और टोबैगो में भारतीय उच्चायुक्त के रूप में भी कार्य किया था। वह अपनी पत्नी हेमलता राजे और बच्चों के साथ 'उम्मेद भवन पैलेस' में रहते हैं। इसके अलावा वह 'मेहरानगढ़' किले के भी मालिक हैं।
यह भी बता दें कि, 'उम्मेद भवन' दुनिया के सबसे बड़े निजी आवासों में से एक है। इसका एक हिस्सा पर्यटकों के लिए खुला है और बाकी महल का प्रबंधन परिवार के साथ साझेदारी में 'ताज ग्रुप ऑफ होटल्स' द्वारा किया जाता है।
गायकवाड़ ने 18वीं शताब्दी की शुरुआत से ही बड़ौदा में सत्ता संभाली थी। महाराजा रणजीत प्रताप सिंह गायकवाड़ की मृत्यु के बाद, उनके पुत्र समरजीत सिंह उत्तराधिकारी बने थे। साल 2012 में, उन्हें 'लक्ष्मी विलास पैलेस' में महाराजा का ताज पहनाया गया था। जब वह सिंहासन पर बैठे थे, तो उन्होंने अपने चाचा संग्राम सिंह गायकवाड़ के साथ मिलकर 20,000 करोड़ रुपये से अधिक के कानूनी विरासत के विवाद को सुलझाया था।
इस सौदे में समरजीत सिंह को 'मोती बाग स्टेडियम', 'महाराजा फतेह सिंह संग्रहालय', 187 कमरों वाला 'लक्ष्मी विलास पैलेस', राजा रवि वर्मा की पेंटिंग और अन्य शाही सामानों सहित 600 एकड़ की अचल संपत्ति का स्वामित्व भी मिला था। वह गुजरात और बनारस में 17 मंदिरों के ट्रस्टों का प्रबंधन भी करते हैं।
इसके साथ ही, समरजीत सिंह एक क्रिकेटर भी हैं और उन्होंने रणजी ट्रॉफी में अपने राज्य का प्रतिनिधित्व किया था। इनकी पत्नी का नाम राधिका राजे है। इनकी दो बेटियां हैं। राधिका राजे 'सीडीएस आर्ट फाउंडेशन' की निदेशक हैं।
क्रिकेट और मनोरंजन के क्षेत्र में सबसे लोकप्रिय नामों में से एक पटौदी वंश है। इस वंश के अंतिम नाममात्र के मुखिया, मंसूर अली खान पटौदी थे। मंसूर अली खान भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान भी थे। मंसूर ने अभिनेत्री शर्मिला टैगोर से शादी की थी। मंसूर और शर्मिला के तीन बच्चे हैं। जिनके नाम सैफ अली खान, सबा अली खान और सोहा अली खान हैं।
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मंसूर अली खान की मृत्यु के बाद उनके पुत्र सैफ अली खान को पटौदी खानदान का दसवां नवाब बनाया गया है। अभिनेता सैफ अली खान की पहली पत्नी अमृता सिंह थीं। सैफ और अमृता के 2 बच्चे हैं, जिनके नाम सारा अली खान और इब्राहिम अली खान हैं। बाद में, सैफ ने अमृता से तलाक ले लिया था और एक्ट्रेस करीना कपूर से शादी कर ली थी। सैफ और करीना के 2 बेटे हैं, जिनके नाम तैमूर और जहांगीर हैं। आज के समय में, सैफ 800 करोड़ रुपए के महलनुमा 'पटौदी पैलेस' के मालिक हैं।
भोंसले वंश महान मराठा शासक शिवाजी का वंश है। शिवाजी महाराज और स्वराज्य राजा के वंशज कोल्हापुर, सतारा, नागपुर, मुधोल, सावंतवाड़ी और तंजौर जैसे विभिन्न राज्यों में रह रहे हैं। सतारा के उदयन राजे इनके प्रमुख मुखियाओं में से एक हैं। हाल ही में, भाजपा सदस्य उदयन राजे ने अपनी 170 करोड़ रुपए की संपत्ति की घोषणा की थी।
इनके एक अन्य प्रमुख संभाजी राजे छत्रपति हैं, जो छत्रपति शिवाजी महाराज के 13वें वंशज होने का भी दावा करते हैं। साल 2011-19 में, वे आरक्षण के लिए चल रहे मराठा आंदोलन का प्रमुख चेहरा थे।
भारत के बॉर्बन्स भोपाल में रहते हैं। इस भारतीय परिवार को 'बॉर्बन-भोपाल' के नाम से भी जाना जाता है। 'बार्बन-भोपाल' परिवार के वर्तमान मुखिया बल्थाजार नेपोलियन IV डी बॉर्बन हैं, जो पेशे से वकील हैं।
भले ही राजशाही खत्म हो गई हो, लेकिन राजघरानों के मूल्यों और परंपराओं ने हमेशा हमारे इतिहास की संस्कृति को समृद्ध किया है। हमें कमेंट करके बताइए कि, इनमें से कौन सा राजवंश आपको सबसे अच्छा लगा? और कोई जरूरी सुझाव हो तो अवश्य दें।