आइए आज हम आपको गुजराती शादी में होने वाले रीति-रिवाज और रस्मों के बारे में बताते हैं।
शादी भारत में सबसे पवित्र अनुष्ठान माना जाता है। हर समुदाय या धर्म की अपनी प्राचीन के साथ-साथ आधुनिक परंपराएं हैं और हर कल्चर की विविधता इसे और भी स्पेशल बना देती है। गुजरात भी भारत का एक ऐसा राज्य है, जो रंग, कल्चर और अपने स्पेशल खान-पान के लिए जाना जाता है। गुजराती लोग मेहमाननवाज होते हैं और ये मेहमान नवाजी उनके वेडिंग फंक्शंस में भी देखने को मिलती है। गुजराती लोगों का फेस्टिव नेचर उनकी शादी की रस्मों में साफ़ दिखाई देता है।
भारत में शादी शुभ दिन पर दो लोगों के शादी में बंधन में बंधने से कई ज्यादा चीजों के बारे में होती है। ये इससे ज्यादा ट्रेडिशनल सेरेमनी के दौरान अपनाए जाने वाले रीति-रिवाजों के बारे में है। गुजराती शादियां ज्यादा अलग नहीं होती हैं। उनकी प्री-वेडिंग रस्मों से लेकर शादी के बाद के रिवाज डीटेल में प्लान किए हुए, सेलिब्रेशन व उमंग से भरे होते हैं। तो आइए जानते हैं गुजराती वेडिंग से जुड़ी सभी रस्मों के बारे में।
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ये सबसे पहला गुजराती फंक्शन होता है, जो शादी की स्वीकृति के बारे में है। चांदलो एक लाल कलर का गोला होता है, जो दूल्हे के माथे के बीच में बनाया जाता है। दुल्हन के पिता दुल्हन की साइड के चार अन्य पुरुषों के साथ दूल्हे के घर जाते हैं और इसे दूल्हे के माथे पर लगाते हैं। इसके साथ प्यार के रूप में वो लड़के वालों को शगुन भी देते हैं और इसी दिन लड़के व लड़की की शादी की तारीख भी फिक्स की जाती है।
गुजराती शादी में सगाई सेरेमनी को गोल धना भी कहा जाता है, जिसका मतलब धनिया के बीज और गुड़ होता है। सगाई सेरेमनी में ये वेडिंग की रस्में और परंपराएं दोनों चीजें मेहमानों में बांटी जाती है। इस दिन होने वाली दुल्हन और उसकी फैमिली होने वाले दूल्हे के घर मिठाई और कुछ गिफ्ट्स लेकर पहुंचती है। दोनों की फैमिलीज की मौजूदगी में कपल एक-दूसरे को अंगूठी पहनाते हैं और कपल दोनों फैमिली की तरफ से 5 शादीशुदा महिलाओं से आशीर्वाद लेता है।
शादी से 2 दिन पहले दुल्हन की फैमिली की तरफ से मेहंदी फंक्शन होस्ट किया जाता है। किसी अन्य भारतीय शादी की तरह ही दुल्हन के हाथों में मेहंदी की खूबसूरत डिज़ाइन लगायी जाती है। फैमिली के बाकी फीमेल मेंबर्स भी अपने हाथों को मेहंदी से सजाते हैं।
गुजरातियों में नाच गाना और डांस सेरेमनी को संगीत संध्या या संजी कहते हैं। ये मेहंदी सेरेमनी के बाद और शादी से एक दिन पहले होती है। ये एक ऐसा फंक्शन है, जिसमें दोनों फैमिलीज को एक-दूसरे को और ज्यादा जानने का मौका मिलता है। इस दिन ट्रेडिशनल गुजराती वेडिंग गाने गाए जाते हैं और मेहमान अपने पैर गरबा और डांडिया पर थिरकाते हैं।
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मंगल मुहूर्त वो सेरेमनी होती है जो दूल्हा और दुल्हन दोनों के घरों में होती है। इस दिन दूल्हा और दुल्हन अपनी-अपनी फैमिलीज के साथ भगवान गणेश की पूजा करके उनका आशीर्वाद लेते हैं और उनसे अपनी राहों में आने वाली सभी कठिनाईयों को मिटाने की प्रार्थना करते हैं।
गृह शांति पूजा भी दोनों घरों में की जाती है। नाम के मुताबिक, ये पूजा दोनों घरों में सुख शांति के लिए की जाती है।
पीठी हल्दी सेरेमनी का एक गुजराती नाम है। इस सेरेमनी में दुल्हन स्टूल पर बैठती है और उनकी फैमिली की महिलाएं उस पर हल्दी, चंदन, गुलाब जल और परफ्यूम का पेस्ट दुल्हन के शरीर पर लगाती हैं।
ये सेरेमनी शादी के एक दिन पहले होती है। दुल्हन के मामा अपनी भांजी के घर जाते हैं और उसे साड़ी, चूड़ियां, ज्वेलरी व कई सारी चीजें गिफ्ट करते हैं।
जान रस्म शादी के दिन होती है और ये काफी एंटरटेनिंग, स्वीट और फनी रस्म होती है। शादी के वेन्यू में आने के बाद, दूल्हा अपनी होने वाली सासू मां के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेता है और वो इस दौरान अपने होने वाले दामाद की बदले में नाक पकड़ने की कोशिश करती है। ये हंसी खेल वाली रस्म दूल्हे को ये याद दिलाने के लिए है कि वो उसे अपनी अमूल्य बेटी दे रही हैं, इसलिए उसे ग्रेटफुल और विनम्र रहना चाहिए।
गुजराती शादी में दूल्हे की बहन कपड़े में बंधा हुआ सिक्का अपने भाई के घर से निकलने से पहले उसके सिर के चारों ओर घुमाती है। ये अपने भाई को बुरी नजर से बचाने का एक तरीका माना जाता है। दूल्हा ज्यादातर घोड़े पर अपने घर से बारात के लिए निकलता है।
ये वेडिंग सेरेमनी की पहली रस्म होती है। इसमें कपल ताजे फूलों से बनी एक-दूसरे को वरमाला पहनाते हैं।
ये एक ऐसी सेरेमनी होती है, जहां दूल्हा और दुल्हन के बीच पर्दा होता है। इस गुजराती वेडिंग की रस्म में दुल्हन को उसके मामा मंडप तक लेकर आते हैं। इस रस्म के दौरान तब तक दूल्हा-दुल्हन के बीच पर्दा ही होता है। जब दुल्हन मंडप पर पहुंच जाती है, तब पूरी रस्म के दौरान पर्दा थोड़ा नीचे कर दिया जाता है।
कन्यादान वो मोमेंट होता है जब दुल्हन के पिता अपनी बेटी का हाथ दूल्हे के हाथ में दे देते हैं। इसके बाद दुल्हन की साड़ी दूल्हे की शॉल से बांध दी जाती है जिसे हस्त मिलाप कहा जाता है। इसके बाद परिवार के बुजुर्गों द्वारा बुराई को दूर करने के लिए जोड़े के गले में एक रस्सी बांधी जाती है, जिसे वरमाला के नाम से जाना जाता है।
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इस रस्म में, दुल्हन के परिवार का एक मेंबर दूल्हे के पैर धुलता है और इस दौरान दूल्हे को दूध और शहद ऑफर किया जाता है।
इंडियन वेडिंग्स की सबसे ज्यादा एक्साइटिंग और एंटरटेनिंग रस्म है। गुजराती शादी में जब मधुपरका की रस्म हो रही होती है, तब दुल्हन की बहनें दूल्हे के जूते छुपाने की कोशिश करती हैं और रुपए के बदले ही इससे वापिस करने के लिए मानती हैं।
हिंदू वेडिंग्स से अलग गुजराती शादियों में 7 फेरों की जगह 4 फेरे होते हैं। कपल के अग्नि के चारों ओर फेरे लेने के दौरान पंडित मंत्रों का उच्चारण करते हैं। वो दोनों 7 कदम एक साथ लेते हैं, जिसे सप्तपदी बोलते हैं। इसके बाद मैरिड कपल अपने से बड़ों का आशीर्वाद लेते हैं।
ये गुजराती शादी की एक और फनी रस्म है। इसमें दूल्हा अपनी सासू मां की साड़ी पकड़ता है और ज्यादा गिफ्ट्स की मांग करता है। दुल्हन की मां की साड़ी इसके बाद गिफ्ट्स, कैश से भरी जाती है और फिर इसे दूल्हे की फैमिली को दे दिया जाता है।
विदाई सेरेमनी में दुल्हन अपनी फैमिली को गुडबाय बोल देती है। वो अपने हाथ में चावल लेती है और बिना देखे उसे अपने पीछे फेंक देती है। इस दौरान दुल्हन की मां को अपने पल्लू में उन चावलों को पकड़ना होता है।
इस सेरेमनी में दुल्हे के घर में दुल्हन की एंट्री होती है और वो इस दौरान घर में चावल से भरी एक छोटी हांडी अपने दाहिने पैर से किक करके घर में प्रवेश करती है।
काफी हेक्टिक वेडिंग शेड्यूल के बाद ये सेरेमनी काफी फनी होती है। इसमें एक बाउल को दूध से भरा जाता है और उसमें एक अंगूठी डाली जाती है। दोनों दूल्हा और दुल्हन को फिर इसमें अंगूठी ढूंढनी होती है और जो जीतता है उसे एक प्राइज मिलता है।
सभी वेडिंग की रस्मों के ख़त्म होने के बाद, वेडिंग रिसेप्शन करने का फैसला दूल्हे की फैमिली के ऊपर निर्भर करता है। रिसेप्शन पार्टी के मेहमानों में दूल्हे की फैमिली के क्लोज लोग शामिल होते हैं।
फिलहाल, ये तो साफ है कि गुजराती वेडिंग की रस्में काफी मजेदार और एक्साइटिंग होती है। तो आपको हमारी ये स्टोरी कैसी लगी? हमें कमेंट में बताएं, साथ ही कोई सुझाव हो तो अवश्य दें।