यहां हम आपको करवा चौथ व्रत से जुड़ी सारी बातें विस्तार से बताने जा रहे हैं, जिसमें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त से लेकर व्रत कथा तक, सब कुछ शामिल है।
वैसे तो हिंदू धर्म में महिलाओं के लिए कई सारे ऐसे व्रत हैं, जो कि वह अपने पति के लिए रखती हैं, लेकिन करवा चौथ (Karwa Chauth Vrat 2021) का अपना एक विशेष महत्व है और इसे महिलाएं बेहद दिलचस्पी के साथ पूरा करती हैं। हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत करती हैं, इसे ही करवा चौथ कहते हैं। इस बार ये व्रत 24 अक्टूबर 2021 को पड़ रहा है। आइए हम आपको इस स्टोरी में करवा चौथ से जुड़ी हर बातों को डीटेल में बताते हैं।
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करवा चौथ के व्रत को लेकर शास्त्रों में यह बताया गया है कि, इसको करने से न सिर्फ पति की आयु लंबी होती है, बल्कि इस व्रत को करने से वैवाहिक जीवन की सारी परेशानियां भी दूर होती हैं और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। कहते हैं कि, इस दिन माता पार्वती, शिवजी और कार्तिकेय का पूजन करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत करने के बाद शाम को चंद्रदेव को अर्घ्य देने के बाद अपना व्रत खोलती हैं।
करवा चौथ के बारे में कई कहानियां प्रचलित हैं। इनमें से एक प्रसिद्ध कहानी हम आपको यहां बता रहे हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, तुंगभद्रा नदी के पास देवी करवा अपने पति के साथ रहती थीं। वह एक पतिव्रता स्त्री थीं। एक दिन करवा के पति नदी में स्नान करने के लिए गए थे, तो एक मगरमच्छ उनका पैर पकड़कर उन्हें पानी के अंदर खींचने लगा। मृत्यु करीब देखकर करवा के पति अपनी पत्नी को जोर-जोर से पुकारने लगे। करवा दौड़कर नदी के पास पहुंचीं और पति की ये हालत देखकर करवा ने तुरंत एक कच्चा धागा लेकर मगरमच्छ को एक पेड़ से बांध दिया। करवा के पतिव्रता होने की वजह से मगरमच्छ कच्चे धागे में ऐसा बंधा कि, वह हिल तक नहीं पा रहा था। करवा के पति और मगरमच्छ दोनों के प्राण संकट में फंसे थे।
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इसके बाद, करवा ने यमराज को पुकारा और अपने पति को जीवनदान देने और मगरमच्छ को मृत्युदंड देने के लिए कहा। यमराज ने कहा, 'मैं ऐसा नहीं कर सकता, क्योंकि अभी मगरमच्छ की आयु शेष है और तुम्हारे पति की आयु पूरी हो चुकी है।' क्रोधित होकर करवा ने यमराज से कहा, 'अगर आपने ऐसा नहीं किया, तो मैं आपको शाप दे दूंगी।' पतिव्रता करवा के शाप से डरकर यमराज ने करवा के पति को जीवनदान दिया। इसलिए करवाचौथ के व्रत में सुहागन स्त्रियां करवा माता से प्रार्थना करती हैं कि, 'हे करवा माता जैसे आपने अपने पति को मृत्यु के मुंह से वापस निकाल लिया वैसे ही मेरे सुहाग की भी रक्षा करना।' और तब से स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र के लिए ये व्रत रखती आ रही हैं।
पंडित राजकुमार शुक्ल ने बताया कि, कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि इस साल 24 अक्टूबर 2021, रविवार सुबह 3 बजकर 1 मिनट पर शुरू होगी, जो अगले दिन 25 अक्टूबर को सुबह 5 बजकर 43 मिनट तक रहेगी। इस दिन चांद निकलने का समय 8 बजकर 11 मिनट पर है। पूजन के लिए शुभ मुहूर्त 24 अक्टूबर 2021 को शाम 06:55 से लेकर 08:51 तक रहेगा। खास बात ये है कि, 5 साल बाद यह शुभ योग बन रहा है कि, रोहिणी नक्षत्र में चांद निकलेगा और इसी नक्षत्र में पूजन भी होगा। इसके अलावा, इस बार रविवार को यह व्रत होने से सूर्यदेव का भी शुभ प्रभाव इस व्रत पर पड़ेगा, जो बेहद शुभ है।
सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करने के बाद पूजा करते समय करवा चौथ के निर्जला व्रत का संकल्प लें। इसके बाद शाम तक कुछ भी खाना और पीना नहीं है। सोलह श्रृंगार करने के बाद पूजन शुरू किया जाता है। माता पार्वती और शिव की कोई ऐसी फोटो किसी लकड़ी के आसन पर रखें, जिसमें भगवान गणेश मां पार्वती की गोद में बैठे हों। पूजा के लिए शाम के समय एक मिट्टी की वेदी पर सभी देवताओं की स्थापना कर इसमें टोंटीदार करवा रखें। एक थाली में धूप, दीप, चन्दन, रोली, अक्षत, सिन्दूर, और मिठाई अर्पित करने के बाद घी का दीपक जलाएं। कोरे करवा में जल भरकर करवा चौथ व्रत कथा सुनें या पढ़ें। चंद्रमा को जल अर्पित करने के लिए छलनी रखें। चांद निकलने के बाद उन्हें जल अर्पित करें। इसके बाद पति के हाथों से जल पीकर अपना व्रत खोलें। पूजन के बाद अपने सास ससुर और घर के बड़ों का आर्शीवाद जरूर लें। ध्यान रहे कि, पूजा चांद निकलने के एक घंटे पहले शुरू कर दें।
करवा चौथ की सबसे प्रचलित परंपरा, चांद को अर्घ्य देकर छलनी की ओट से अपने पति को देखना होता है। इसके तहत छलनी में दिया रखकर चांद के दर्शन किए जाते हैं, फिर उसी चलनी से पति का दीदार किया जाता है। विवाहित जोड़े ये रस्म बड़ी ही दिलचस्पी के साथ पूरा करते हैं।
परंपरा के अनुसार जब किसी सुहागन का पहला करवा चौथ होता है, तब सास अपनी बहू को 'सरगी' (तरह-तरह की मिठाइयां और कुछ कपड़े) देती है, जिसे करवाचौथ का व्रत रखने वाली महिलाएं सूर्योदय के पहले ही खा सकती हैं। उपवास शुरू होने के बाद इसे नहीं खाया जाता। यही नहीं, बहुएं भी सुहाग और श्रृंगार का सामान अपनी सास को देती हैं, उसे 'पोइया' कहा जाता है। इसमें सुहाग का सामान जैसे बिंदी, चूड़ियां, सिंदूर के अलावा मठरी, मिठाइयां, मेवे और सूट या साड़ी शामिल होता है। इस सामान को बहू पूजा के बाद ही सास को देती है और सास से आशीर्वाद लेती है।
पत्नी द्वारा अन्न जल त्यागकर किए गए व्रत में पति की तरफ से उन्हें उपहार देने का भी रिवाज है, जो पत्नी के लिए निश्चित ही उत्सुकता और रोमांच का पल होता है।
1. करवा चौथ व्रत की शुरुआत सूर्योदय के साथ ही हो जाती है, इसलिए इस दिन पर ज्यादा देर तक नहीं सोना चाहिए।
2. हो सके तो इस दिन लाल रंग के कपड़े ही पहनें, क्योंकि लाल रंग प्यार का प्रतीक माना जाता है।
3. व्रत करने वाली महिलाओं को अपनी वाणी पर नियंत्रण रखना चाहिए। महिलाओं को घर में किसी बड़े का अपमान नहीं करना चाहिए।
4. आज के दिन नुकीली चीजों के इस्तेमाल से बचें। जैसे सुई-धागे का काम, कढ़ाई, सिलाई या बटन लगाने के काम ना करें, तो अच्छा रहेगा।
फिलहाल, यहां हमने आपको करवा चौथ के व्रत से जुड़ी लगभग हर चीजों की जानकारी देने का प्रयास किया है। तो आपको हमारी ये स्टोरी कैसी लगी? हमें कमेंट करके जरूर बताएं, साथ ही हमारे लिए कोई सलाह हो तो अवश्य दें।