इस आर्टिकल में हम आपको उन जांबाज महिलाओं के बारे में बताएंगे, जिन्होंने अपने पति की मृत्यु के बाद न सिर्फ देश के लिए लड़ने का फैसला किया, बल्कि भारतीय सेना को ज्वाइन भी किया।
'भारत' आज यानी 15 अगस्त 2021 को अपनी आज़ादी का 75वां जश्न मना रहा है। इस खास मौके पर हम आपको याद दिलाना चाहेंगे कि, इस देश में आज अगर कोई भी व्यक्ति अमन, चैन व शांति से रह पा रहा है, तो इसका श्रेय हमारे क्रांतिकारियों व स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को जाता है। जिन्होंने अपनी जान की परवाह न करते हुए देश हित व आज़ादी को सर्वोपरि माना था। वह नहीं चाहते थे कि, उनकी आगे आने वाली पीढ़ी गुलामी का चांद-सूरज देखे, बल्कि वह एक ऐसा मुल्क देना चाहते थे, जहां सब सिर उठाकर अपनी जिंदगी जी सकें। इसलिए, उन लोगों ने बिना कुछ सोचे-समझे अपने प्राणों की आहुति दे दी।
उस वक्त जो कार्य क्रांतिकारी व स्वतंत्रता संग्राम सेनानी करते थे, वही काम आज के समय में 'भारतीय सेना' देश की रक्षा करने का काम करती है। इसी राष्ट्र धर्म को निभाने में रोज़ाना कोई न कोई जवान शहीद हो जाते हैं और तिरंगे में लिपटकर देश का गौरव बढ़ाते हैं। जो सैनिक शहीद होते हैं, उनका परिवार पूरी तरह टूट जाता है। उनकी पत्नियों को यह समझ में नहीं आता कि, वह क्या करें? कैसे उनका गम कम होगा? लेकिन, भारत देश में महिलाओं के अंदर जो सामर्थ्य व सहनशीलता है, वही उन्हें पूजनीय बनाती है। इन्हीं में से कुछ महिलाओं ने अपने पति को श्रद्धांजलि अर्पित करने के उद्देश्य से, उन्हीं के नक्शेकदम पर चलना शुरू कर दिया है। कईयों ने तो बाकायदा ट्रेनिंग लेकर लेफ्टिनेंट व मेजर के पदों पर अपनी दावेदारी पेश की है। इस आर्टिकल में हम आपको उन जांबाज महिलाओं के बारे में बताएंगे, जिन्होंने अपने पति की मृत्यु के बाद देश के लिए लड़ने का फैसला किया है।
शालिनी 18 साल की थीं, जब उनकी शादी भारतीय सेना के अधिकारी मेजर अविनाश सिंह भदौरिया से हुई थी। वह कश्मीर में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान शहीद हो गए थे। अपने पति को खोने के बाद उन्होंने श्रद्धांजलि के तौर पर सेना में शामिल होने का फैसला किया था। एक मेजर की पत्नी और एमबीए की छात्रा रहीं शालिनी सिंह से वह अब मेजर शालिनी सिंह यानी की सेना में एक जवान के रूप में तैनात हो गई थीं।
मेजर अविनाश की पहली पुण्यतिथि से केवल तीन सप्ताह पहले, शालिनी को भारतीय सेना में एक अधिकारी के रूप में नियुक्त कर दिया गया था। उन्होंने 5 साल तक सेना में सेवा की। 2017 में उन्होंने मिसेज इंडिया पेजेंट में 'क्वीन ऑफ सब्सटेंस अवार्ड' जीता।
साल 2016 में, मेजर नीरज 'ऑपरेशन राइनो' के दौरान बुरी तरह घायल हो गए थे। जब उनका काफिला अरुणाचल प्रदेश के सिप्रा पहुंचा, तो वह भूस्खलन की चपेट में आ गए थे और बाद में उन्होंने दम तोड़ दिया था। मेजर नीरज एक समर्पित सैनिक और एक कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी थे, जिन्होंने राष्ट्र की सेवा में अपना जीवन लगा दिया था।
इसके बाद, उनकी बहादुर पत्नी सुष्मिता ने अपने पति के नक्शेकदम पर चलने का फैसला किया था, वह भारतीय सेना के 'कोर ऑफ सिग्नल्स' में शामिल हो गईं थीं, यह वही कोर था, जिसमें उनके पति ने अपनी सेवा दी थी।
गरिमा अबरोल की शादी समीर अबरोल से हुई थी, जो फरवरी 2019 में 'मिराज 2000 फाइटर प्लेस क्रैश' में शहीद हो गए थे। उन्होंने अपने पति की शहादत को अविस्मरणीय तरीके से सम्मानित करने का फैसला किया था, वह उनके जूते में कदम रखने और भारतीय वायु सेना में शामिल होने के लिए तैयार हैं।
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वर्ष 2016 के अप्रैल महीने में, 21 पैरा बटालियन के मेजर अमित देसवाल ने देश के लिए शहादत को गले लगाया था। वह मणिपुर में एक 'आतंकवाद विरोधी अभियान' में शामिल थे। जिसके बाद, उनकी पत्नी नीता देसवाल ने सेना से जुड़ने का फैसला किया था। यह निर्णय किसी भी महिला के लिए आसान नहीं होता है, लेकिन एक पत्नी के लिए 'सब कुछ' मुमकिन होता है। वह भी उस पत्नी के लिए, जिसके पति ने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी हो।
नीता देसवाल को साल 2018 में, चेन्नई स्थित ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी (OTA) से एक प्रभावशाली पासिंग-आउट परेड में लेफ्टिनेंट के रूप में तैनात किया गया था, यह एक पति को उसकी पत्नी की तरफ से एक उचित श्रद्धांजलि थी।
नवंबर 2015 में, जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में आतंकवादियों से लड़ते हुए कर्नल संतोष महादिक शहीद हो गए थे, जिसके बाद उनकी पत्नी स्वाति महादिक ने वर्ष 2016 में एसएसबी परीक्षा पास की थी और 11 महीने की भीषण ट्रेनिंग के अलावा रणनीति और सैन्य इतिहास पर क्लासेस भी ली थीं।
38 वर्षीय स्वाति को शहीद की पत्नी के रूप में केवल आयु सीमा में छूट मिली थी, जो कि 27 है। जिसके बाद, दो बच्चों की मां स्वाति महादिक भारतीय सेना के आयुध कोर में शामिल हो गई थीं।
14 फरवरी, 2019 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ के दौरान मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल शहीद हो गए थे। सीआरपीएफ के काफिले पर हुए इस आतंकी हमले में 40 सैनिक शहीद हो गए थे। जिसके बाद, मेजर की पत्नी ने कर्मचारी चयन आयोग की लिखित परीक्षा और साक्षात्कार को पास किया और मेरिट सूची के प्रकाशन की प्रतीक्षा कर रही हैं।
नितिका, जिनका परिवार मूल रूप से जम्मू का रहने वाला है, उन्होंने कहा कि यह उनके पति को श्रद्धांजलि देने का उनका तरीका है।
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अरुणाचल प्रदेश में तवांग के पास एक 'आतंकवाद विरोधी अभियान' में अमित शर्मा ने अपनी जान गंवा दी थी। उनकी पत्नी का नाम प्रिया सेमवाल है। प्रिया जब स्नातक में थीं, तब ही उनकी शादी अमित से हो गई थी। लेकिन, पति की मौत से प्रिया हिम्मत नहीं हारी, बल्कि उन्होंने भारतीय सेना में शामिल होने का फैसला कर लिया था।
15 मार्च 2014 को, प्रिया ने चेन्नई के ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी से लेफ्टिनेंट के रूप में पास आउट किया था।
दिसंबर 2017 में, अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भारत-चीन सीमा पर अपने शेल्टर में मेजर प्रसाद महादिक शहीद हो गए थे। इसके बाद, उनकी पत्नी गौरी महादिक ने भारतीय सेना से जुड़ने का फैसला किया था। जिसके बाद, गौरी साल 2018 में सर्विस सेलेक्शन बोर्ड की परीक्षा में बैठी थीं और उन्होंने शानदार प्रदर्शन करते हुए परीक्षा पास की थी।
इसके बाद, जब वह ओटीए में प्रशिक्षण के लिए तैयार हो गई थीं, तब उन्हें 49 सप्ताह के गहन प्रशिक्षण के बाद, मार्च 2020 में भारतीय सेना में शामिल किया गया था।
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जब मुकेश दुबे शहीद हुए थे, उस दरमियान उनकी पत्नी निधि अपने बेटे के साथ गर्भवती थीं। अधिकारी प्रशिक्षण अकादमी का रास्ता निधि मिश्रा के लिए कठिन था, जिनके पति नायक मुकेश दुबे की 2009 में हृदय गति रुकने से मृत्यु हो गई थी। निधि ने एमबीए कर रखा है, आर्मी स्कूल में पढ़ाने से पहले एक एचआर फर्म में काम करती थीं।
बता दें कि, निधि मिश्रा को भारतीय सेना में जाने की प्रेरणा प्रिया सेमवाल से मिली थी। प्रिया 2014 में ओटीए से पास आउट हुई थीं।
उत्तरी कश्मीर के बांदीपोरा जिले के गुरेज सेक्टर में एलओसी पर एक मुठभेड़ के दौरान अगस्त 2018 में मेजर कौस्तुभ राणे शहीद हुए थे।
जिसके बाद, उनकी पत्नी कनिका राणे ने योग्यता के साथ सेवा चयन बोर्ड परीक्षा पास की थी और अधिकारी प्रशिक्षण अकादमी में 49 सप्ताह के प्रशिक्षण के बाद, राष्ट्र के लिए अपनी सेवा शुरू करने के लिए कमर कस रही हैं।
जम्मू-कश्मीर में आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद हुए राइफलमैन शिरीष मल की पत्नी संगीता मल हैं। मार्च 2019 में चेन्नई में ओटीए से पास आउट होने के बाद उन्हें भारतीय सेना में शामिल किया गया था। संगीता की 2013 में शिरीष मॉल से शादी होने से पहले वह एक शिक्षिका थीं। बता दें कि, शिशिर गोरखा राइफल्स में एक सैनिक थे और जम्मू-कश्मीर के बारामूला सेक्टर में तैनात थे। वह 2015 में एक सीजफायर उल्लंघन के दौरान शहीद हो गए थे।
अप्रैल 2015 में ड्यूटी के दौरान राइफलमैन रविंदर संब्याल को शहादत मिली थी। उन्होंने जिस वक्त इस दुनिया को छोड़ा था, उस समय उनकी बेटी सिर्फ 2 साल की थी। इसके 3 साल बाद, साल 2018 में उनकी पत्नी नीरू संब्याल ने उनके बाद भारतीय सेना में शामिल होने के लिए अपना प्रशिक्षण पूरा किया था। नीरू लेफ्टिनेंट के रूप में भारतीय सेना में शामिल हुई थीं। अपने संघर्ष और जिंदगी के बारे में बात करते हुए लेफ्टिनेंट नीरू ने कहा था कि, 'मेरे पति पैदल सेना (Infantry) में थे, शहीद होने के बाद वास्तविकता को स्वीकार करना वाकई मुश्किल था। लेकिन मेरे लिए, मेरी बेटी मेरी प्रेरणा है। मैं कभी नहीं चाहती थी कि, वह अपने पिता की कमी महसूस करे। इसलिए, मैं एक पिता व माता दोनों की भूमिकाओं को भरना चाहती थी।' उन्होंने यह भी कहा था कि, 'सेना में होने के नाते, हर किसी को मानसिक रूप से मजबूत होना पड़ता है। क्योंकि, कभी-कभी ऐसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है, जहां शारीरिक ताकत ज्यादा मायने नहीं रखती है।'
इन बहादुर महिलाओं पर देश के हर व्यक्ति को गर्व है। इन्होंने मुश्किल वक्त में न सिर्फ खुद को संभाला, बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा बन गई हैं। आपको यह आर्टिकल कैसा लगा? कमेंट करके हमें जरूर बताएं और यदि कोई सुझाव हो तो अवश्य दें।