भोजपुरी सुपरस्टार खेसारी लाल यादव की ज़िन्दगी काफी संघर्षों में गुज़री है। इस आर्टिकल में हम उनकी ज़िन्दगी से जुड़े सारे राज़ खोलेंगे।
दुनिया में दौलत-शोहरत उस इंसान को ही मिलती है, जो उसके लिए पूरी लगन के साथ मेहनत करता है। जिसके लिए हालात कभी मायने नहीं रखते, उसे सफ़लता पाने से दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती। ऐसे ही एक इंसान के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं, जिस पर ये कथन पूरी तरह से लागू होता है। जी हां! हम बात कर रहे हैं, भोजपुरी इंडस्ट्री के सुपरस्टार सिंगर और एक्टर खेसारी लाल यादव (Khesari Lal Yadav) की। भोजपुरी फ़िल्मों के इस सुपरस्टार की कहानी सच में प्रेरणादायक है। हर इंसान को इनके संघर्षों को सीख के रूप में अपनाना चाहिए। इनकी ज़िन्दगी से कभी न हारने वाली भावना को, अपनी ज़िन्दगी में उतारना चाहिए।
सुपरस्टार खेसारी लाल यादव आज जिस मुक़ाम पर हैं, उसमें उनकी मेहनत और संघर्ष के साथ ही साथ उनकी पत्नी का भी अहम किरदार है। खेसारी भी उन सफ़ल पुरुषों में हैं, जिनकी सफ़लता का रास्ता उनकी पत्नी से होकर गुज़रता है। इस आर्टिकल में आप खेसारी की शुरूआती ज़िन्दगी से लेकर उनके सुपरस्टार बनने तक का सफ़र तय करेंगे। तो चलिए आपको ले चलते हैं संघर्ष भरे उस रास्ते पर, जिसका अंत सफलता के पायदान पर होता है।
खेसारी लाल यादव का जन्म छपरा (बिहार) के रसूलपुर चट्टी धनाड़ी गांव में 5 मार्च 1986 को हुआ था। बचपन से ही उनका रुझान गाने और नाचने में ज़्यादा था। लेकिन, पिता के पास इन सब कामों के लिए पर्याप्त धन नहीं था, इसलिए खेसारी को अपने इस शौक़ को कुछ दिनों तक के लिए मारना पड़ा। खेसारी बचपन से ही मेहनती थे, बहुत कम उम्र में ही उन्हें अपनी ज़िम्मेदारी का एहसास होने लगा। जिससे वो अपने पिता का साथ देने व घर का काम करने लगे।
खेसारी लाल यादव ने अपने शुरूआती जीवन के संघर्ष के बारे में बात करते हुए एक इंटरव्यू में कहा था कि "मेरे पिता चने बेचा करते थे औऱ अपने चचेरे भाईयों को मिला कर हम कुल 7 भाई थे। पिता दिन में चना बेचते थे और रात में गार्ड की नौकरी करते थे, ताकि अपने परिवार को पाल सकें। वह मंडी से फेंका हुआ सड़ा प्याज उठा कर लाते थे, जिसके भीतर का साफ प्याज निकाल कर उससे चना बना कर बेचा करते थे।" (ये भी पढ़ें: रवि किशन की लव स्टोरी: 11वीं क्लास में ही एक्टर को हो गया था प्यार, कुछ ऐसी है प्रेम कहानी)
खेसारी लाल यादव सात भाई हैं, जिनमें वो सबसे बड़े हैं। खेसारी लाल के पिता चने बेचने का काम करते थे, जिससे उनकी ज़्यादा कमाई नहीं हो पाती थी। इसी वजह से वह अपने बच्चों को बहुत कम शिक्षा दिला सके। खेसारी के दो-तीन भाइयों ने तो स्कूल का मुंह तक नहीं देखा। पढ़ाई-लिखाई न होने की वजह से खेसारी ने बहुत जल्दी ही काम करना शुरू कर दिया। जिससे उनकी शादी की बात भी जल्दी होने लगी। खेसारी जब लगभग 20 वर्ष के थे, तभी उनकी शादी चंदा देवी नाम की एक लड़की से 11 जून 2006 को कर दी गई। अपनी शादी के लिए खेसारी के पास सेहरा तक खरीदने के रुपये नहीं थे, जिसे बाद में उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान स्वीकारा।
खेसारी ने कहा था, ''मेरे पास सेहरा बांधने के भी पैसे नहीं थे। मैं कोई बड़ा काम नहीं करता था, इसलिए मेरी शादी भी 11 हजार रुपये में तय हुई थी।''
जैसा कि आप सबको पता है कि खेसारी लाल एक बेहद गरीब परिवार से सम्बन्ध रखते हैं। इसलिए खेसारी के लिए लड़की भी ऐसी ढूंढी गयी थी, जो उनके परिवार के साथ सामंजस्य आसानी से बैठा ले। खेसारी से अपनी बेटी की शादी करवाने के लिए चंदा के पिता ने अपनी चार भैंसें बेच दी।भैंसों को बेचकर उन्होंने शादी में पहनने के लिए खेसारी को सूट दिया।
सात फेरों के बंधन में बंधने के बाद, या यूं कहें खेसारी के साथ ब्याह रचाने के बाद, चंदा की ज़िंदगी अब सिर्फ़ खेसारी के लिए थी। चंदा ने हर कदम पर खेसारी का साथ दिया। उनके जीवन के मुश्किल पड़ाव में भी वो पत्थर जैसी उनके साथ डटी रहीं। एक वक़्त ऐसा आया जब खेसारी दिल्ली में लिट्टी-चोखा बेचकर अपने एल्बम के लिए पैसे इकट्ठा कर रहे थे, तब चंदा ने एक ही साड़ी में 6 महीने गुज़ार दिए थे। शायद, उनके इस पतिव्रता धर्म का ही कमाल है, जो खेसारी आज इतने बड़े सुपरस्टार हैं।
भोजपुरी फ़िल्मों में अपनी एक्टिंग से लाखों दिलों पर राज करने वाली अभिनेत्री काजल राघवानी के साथ, खेसारी का नाम अक़्सर जोड़ा जाता है। दोनों की लिंक-अप की ख़बरों से अख़बार भरे रहते हैं। इन दोनों ने साथ में दस से ज़्यादा फ़िल्मों औऱ म्यूजिक वीडियोज में काम किया है। हालांकि, खेसारी से जब भी उनके औऱ काजल के बारे में पूछा जाता है, तो वो हमेशा एक ही बात कहते हैं कि मेरे और उनके बीच कुछ नहीं है।
खेसारी लाल यादव को एक बार जेल का चक्कर भी काटना पड़ा है, वो भी उनके अपने गाने के कारण। दरअसल, खेसारी लाल यादव को असली लोकप्रियता उनके एल्बम 'बोल बम' के गाने 'टेनिस वाली सानिया दूल्हा खोजलीं पाकिस्तानी' से मिली है। इस गाने के रिलीज होने के दो दिन बाद ही खेसारी पर टेनिस स्टार सानिया मिर्जा ने मानहानि का केस कर दिया था। इसके बाद वो 3 दिन तिहाड़ जेल में बंद थे। बाद में वह बेल लेकर जेल से बाहर आए। (ये भी पढ़ें: पवन सिंह की पर्सनल लाइफ: पहली शादी के कुछ ही दिन बाद पत्नी ने कर ली थी आत्महत्या, ऐसी है स्टोरी)
खेसारी लाल यादव जैसा दरियादिल इंसान आज के ज़माने में बहुत कम होते हैं। जहां आज के समय में किसी को किसी से कोई मतलब नहीं, सब अपने-अपने में मशगूल रहते हैं। तो ऐसे दौर में खेसारी ने अपने दो सगे भाइयों के साथ ही चाचा के चारों लड़कों की ज़िम्मेदारी का बीड़ा उठाया है। इसके साथ ही खेसारी लाल यादव ने 300 ऐसे बच्चों का जिम्मा अपने सिर लिया है, जिनको वो बिना किसी जाति, मज़हब को देखते हुए पाल रहे हैं। खेसारी की इन्हीं ख़ूबियों की वजह से लोग उन्हें एक स्टार के साथ ही एक अच्छे इंसान के तौर पर भी पसंद करते हैं।
फ़िल्म 'साजन चले ससुराल' से भोजपुरी इंडस्ट्री में कदम रखने वाले अभिनेता खेसारी लाल यादव का भोजपुरी इंडस्ट्री में अलग रुतबा है। उनके फैंस उनकी एक झलक पाने को बेताब रहते हैं। उनकी फ़िल्में रिलीज़ होने से पहले ही हिट मानी जाती हैं। निर्माता उनके ऊपर पैसा लगाने से ज़रा भी कतराते नहीं हैं। फ़िल्म बनाने वाले लोग उनकी मुंह मांगी कीमत उन्हें देते हैं। एक रिपोर्ट की माने तो खेसारी लाल यादव एक फिल्म के लिए करीब 50 लाख रुपये लेते हैं। ऐसे में उनकी एक साल की कमाई 6-7 करोड़ के बीच हो जाती है।
इतना ही नहीं खेसारी एक स्टेज शो करने के लिए करीब 10 लाख रुपये लेते हैं। फिल्म की कमाई में भी खेसारी निर्माताओं से हिस्सा लेते हैं, इसके लिए वो पहले ही समझौता कर लेते हैं। लेकिन, खेसारी अपनी कमाई के बारे में कभी खुलकर बातें नहीं करते हैं। एक इंटरव्यू में जब उनसे उनकी कमाई के बारे में पूछा जाता है, तो वो हंस कर सवाल टाल जाते हैं।
खेसारी ने कहा था, ''जब मैंने पहली स्टेज परफॉर्मेंस दी थी तो मुझे एडवांस में 21 रुपये मिले थे। अब कितना पैसा लेता हूं, ये नहीं बताऊंगा... वरना इनकम टैक्स का छापा पड़ जाएगा।''
हर दिल अजीज़ खेसारी लाल यादव अपनी पत्नी के साथ एक खुशहाल गृहस्थ जीवन बिता रहे हैं। उनको एक बेटी कृति औऱ एक छोटा बेटा ऋषभ है। दोनों बच्चे अपने पिता के आदर्शों पर ही चलते हैं। पिछले साल कृति ने भी भोजपुरी इंडस्ट्री में कदम रखा है। उन्होंने फ़िल्म 'दुलहिन गंगा पार के' से फिल्मों में डेब्यू किया है। इस फ़िल्म में उनकी एक्टिंग को सभी ने सराहा। इसके लिए उन्हें बेस्ट डेब्यू चाइल्ड आर्टिस्ट के अवॉर्ड से नवाजा गया है। (ये भी पढ़ें: आम्रपाली नहीं, ये हैं भोजपुरी एक्टर 'निरहुआ' की वाइफ, जानें इनकी लव लाइफ के बारे में)
खेसारी लाल यादव की इस संघर्ष भरी कहानी में वो सारे पड़ाव हैं, जो किसी भी सफ़ल व्यक्ति के इंसान में होते हैं। जो एक सफल व्यक्ति की ज़िन्दगी में होते हैं। ऐसे में यदि देखा जाए तो खेसारी लाल यादव के संघर्ष भरी कहानी से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। तो हमें भी जीवन में अपने लक्ष्य को पाने के लिए संघर्षों को पार करते रहना चाहिए।
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